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ओह चूहे!': ऑफिस की अजीब हरकतों पर टेक सपोर्ट का बदला

भ्रमित वरिष्ठ नागरिकों के बीच फंसे हुए टेक सपोर्ट एजेंट की एनिमे-शैली की चित्रण।
इस जीवंत एनिमे दृश्य में, हमारा टेक सपोर्ट हीरो उलझन में पड़े वरिष्ठ नागरिकों की कर समस्याओं में मजेदार अराजकता का सामना कर रहा है। क्या वह इस उलझन को सुलझा पाएगा और दिन बचा पाएगा? "मैं आज आपकी समस्या हल नहीं कर सका? ओह, बुरा!" की यात्रा में शामिल हों!

क्या आपने कभी किसी ऐसे ग्राहक से पाला पड़ा है, जिसे न तकनीक की समझ हो, न तमीज़ की? और ऊपर से उसकी अजीब हरकतों ने आपका दिन बना दिया हो? आज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक टेक्निकल सपोर्ट कर्मचारी ने अपने ऊपर गुस्सा निकालने वाले ऑफिस मालिक को बेहद ही देसी और मज़ेदार अंदाज़ में जवाब दिया। आप भी पढ़िए और मुस्कुराइए कि दफ्तरों की राजनीति और छोटी-छोटी बातों में भी कितना मज़ा छुपा होता है।

टेक्निकल सपोर्ट वाले भैया और उनका झंझट

ये बात है कई साल पहले की, जब हमारे किस्से के हीरो एक बड़ी टैक्स कंपनी (H & R Block) के अंदर टेक्निकल सपोर्ट में काम करते थे। अब हमारे देश में भी अक्सर दफ्तरों में लोगों को कंप्यूटर की बजाय कागज़ और रजिस्टर ज़्यादा समझ आते हैं, वैसे ही उस देश में भी ज़्यादातर टैक्स एक्सपर्ट्स को कंप्यूटर का "क" भी नहीं आता था।

एक दिन एक बुज़ुर्ग महिला का फोन आया, जो दफ्तर की मालिक थीं। भाभीजी का गुस्सा सातवें आसमान पर था और उन्होंने बिना पूरी बात सुने ही फरमान सुना दिया—"पूरा सर्वर फिर से इंस्टॉल कर दो!" अब सोचिए, ये वैसा ही है जैसे आपकी बाइक का टायर पंचर हो और आप मेकेनिक से कहें, "पूरी इंजन खोल दो!"

"ओह चूहे!"... और असली चूहे की कहानी

महिला न सिर्फ बदतमीज़ थीं, बल्कि बार-बार फोन होल्ड पर भी डाल देती थीं—जैसे मोहल्ले की मामी किसी की चुगली करने में बिज़ी हों! इसी बीच, टेक सपोर्ट वाले भैया को पता चला कि कंपनी का बड़ा अफसर (डिस्ट्रिक्ट मैनेजर) उसी ऑफिस में जांच के लिए आया है, लेकिन उस महिला ने ब्रेक रूम का दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया।

अब असली पिक्चर शुरू होती है! टेक्निकल सपोर्ट टीम ने मिलकर एक चाल चली। जैसे ही महिला को सर्वर रूम में भेजा गया, मैनेजर ने ब्रेक रूम का ताला खोल डाला। अंदर तो गज़ब ही मंजर था—एक बिस्तर, कपड़े, खाना, दवाइयाँ और... खुद महिला की बिल्ली! मतलब, भाभीजी कई दिनों से दफ्तर में ही रह रही थीं। जब उनसे पूछा गया तो जवाब मिला, "घर में चूहे हो गए हैं, इसलिए दफ्तर में रह रही हूँ।"

बदले की बारी: "ओह चूहे!" का जादू

अब टेक सपोर्ट वाले का दिल भी ठनक गया। आखिर इतने दिन की सुनाई और बेज़्ज़ती का बदला तो बनता था! जब महिला दोबारा फोन पर आई, तो टेक सपोर्ट ने जान-बूझकर ऐसे टेस्ट कराए जो फेल होने ही थे। हर बार जब कुछ न होता तो बड़े मासूमियत से कहते, "ओह, ये भी नहीं चला? ओह चूहे!"

महिला की सांसें अटक गईं, चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। लेकिन टेक सपोर्ट वाले ने हाथ नहीं खींचा—हर कोशिश पर "ओह चूहे!" का तड़का लगाते रहे। आखिरकार महिला ने हार मान ली और बोली, "मैं बाद में कॉल करती हूँ।" टेक सपोर्ट वाले ने भी तंज कसते हुए कहा—"समझ सकता हूँ, आपके पास और भी बहुत कुछ चल रहा है... बस अफसोस है कि आज आपकी समस्या हल नहीं कर पाए... ओह चूहे!"

पाठकों की राय: मज़ेदार टिप्पणियाँ और सीख

इस कहानी पर Reddit के पाठकों ने भी खूब मज़ेदार कमेंट्स किए। एक पाठक ने तो चुटकी लेते हुए लिखा, "अच्छा किया, आपने उसे 'रैट' आउट कर दिया!" यानी, आपने उस पर चूहे की तरह जासूसी कर दी। एक और ने कहा—"इतनी छोटी-छोटी बातों में जो तसल्ली मिलती है, वही असली बदला है।"

कुछ लोग तो अपने-अपने घरों की चूहे-बिल्ली की कहानियाँ सुनाने लगे—जैसे किसी की बेटी के पास पालतू चूहे थे, तो किसी के घर में एक बार दोनों बच्चों के गेरबिल (एक तरह का छोटा चूहा) ने आपस में जंग छेड़ दी थी! किसी ने तो बिल्ली की सुस्ती पर भी ताना कस दिया—"इतनी बड़ी बिल्ली थी, फिर भी चूहे घर में घुस आए!"

निष्कर्ष: दफ्तरों की राजनीति और छोटी खुशियाँ

इस पूरे किस्से से हमें यही समझ आता है कि ऑफिस की राजनीति सिर्फ हमारे देश की बपौती नहीं है। चाहे अमेरिका हो या भारत, बॉस और कर्मचारी के बीच की तकरार, छोटी-छोटी बदले की बातें और मज़ेदार पल हर जगह मिल जाते हैं।

तो अगली बार जब कोई बॉस आपको बिना वजह डांटे, तो आप भी अपने अंदर के "टेक सपोर्ट" को जगा सकते हैं—और मौके पर "ओह चूहे!" जैसा कोई देसी तड़का जरूर लगाइएगा! वैसे भी, जैसी करनी वैसी भरनी—कहावत तो आपने सुनी ही होगी।

आपकी नौकरी या ऑफिस में कभी ऐसी कोई छोटी बदले की घटना हुई है? हमें कमेंट में जरूर बताइए और ये कहानी दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलिए। आखिर, छोटी-छोटी खुशियाँ ही तो बड़े-बड़े तनावों की दवा हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: I couldn't solve your problem today? Oh Rats!