ओकटोबरफेस्ट: जब होटल बना शराबियों का अखाड़ा और सफाईकर्मी बने सुपरहीरो
आपने कभी सोचा है कि कोई होटल किसी त्योहार में मंदिर जैसा पवित्र बन जाता है या अखाड़ा? जर्मनी के दक्षिणी शहर म्यूनिख में हर साल ओकटोबरफेस्ट (Oktoberfest) नाम का महा-बियर महोत्सव होता है, जहां हजारों-लाखों लोग दुनियाभर से सिर्फ पीने, झूमने और मस्ती करने आते हैं। अगर आप सोचते हैं कि त्योहारी मौसम में होटल वालों की बल्ले-बल्ले होती है, तो एक बार होटल के कर्मचारियों से भी पूछ लीजिए!
कहते हैं, "जहां शराब, वहां तमाशा" – और ओकटोबरफेस्ट तो इस कहावत का जीता-जागता उदाहरण है। आज मैं आपको एक ऐसी सच्ची घटना सुनाऊंगा, जिससे आपको हंसी भी आएगी, घिन भी आएगी और होटल वालों के धैर्य की दाद भी देनी पड़ेगी।
ओकटोबरफेस्ट: जश्न का असली रंग
ओकटोबरफेस्ट की चर्चा भारत में भी होती है, पर वहां का नजारा कुछ और ही होता है। कल्पना कीजिए, आम दिनों में 150 यूरो का कमरा अचानक 600 यूरो में बिक रहा है! होटल फुल बुक, हर कोना शराबियों से भरा, और कर्मचारियों के लिए हर दिन महाभारत। किसी एक मेहमान का झगड़ा, उल्टी, तो किसी का नशे में हंगामा – सब कुछ चलता रहता है।
एक बार एक यूज़र ने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा, "हमारे होटल में तो त्योहार एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है, लोग तैयार होकर आते हैं, जैसे बारात में दूल्हा बन के आए हों।"
शराब का नशा और सफाईकर्मी का धैर्य
अब सुनिए ओकटोबरफेस्ट के दौरान घटी एक ऐसी घटना, जो किसी बॉलीवुड कॉमेडी या हॉरर फिल्म से कम नहीं। रात के करीब 11 बजे, होटल का रिसेप्शनिस्ट ड्यूटी खत्म करने की तैयारी में था। तभी हाउसकीपिंग से फोन आया – "छठी मंजिल पर गंदगी हो गई है।" रिसेप्शनिस्ट चौंका, तभी नाक में अजीब-सी बदबू आई। देखा, एक सज्जन ठाठ से मोबाइल लिए बाहर स्मोकिंग एरिया की ओर जा रहे हैं, और वहीँ से बदबू आ रही थी।
सीसीटीवी देखा तो नजारा देख सबके होश उड़ गए – जनाब छठी मंजिल की लिफ्ट के सामने करीब आधा घंटा बैठे, नशे में अपनी पतलून में ही 'कला' कर डाली। फिर उसी हाथ से वो 'कला' बाहर निकाली, जमीन पर रखी, और दोनों पैरों से ऐसे रौंदा जैसे गिल्ली-डंडा खेल रहे हों। फिर लिफ्ट पकड़कर नीचे आ गए और सिगरेट पीने लगे।
शर्म, माफी और 400 यूरो का जुर्माना
अब रिसेप्शनिस्ट ने पता किया कि ये कौन-से कमरे में ठहरे हैं। पता चला, किसी और के साथ ट्विन रूम शेयर कर रहे हैं। जब उनके रूम पार्टनर को फोन लगाया तो मालूम हुआ वो तो दिन में ही निकल गए थे। फिर जनाब की पत्नी को फोन किया गया। पत्नी ने इतनी शर्मिंदगी जताई कि पूछिए मत – बार-बार माफी मांगी, क्रेडिट कार्ड दिया, और खास बिनती की कि किसी को न बताया जाए, क्योंकि उनके पति तो मशहूर ब्रेन सर्जन हैं! उन्होंने कहा, "हर आदमी के जीवन में एक ऐसा दिन होता है, जब उसे खुद पर शर्म आ जाती है, आज मेरे पति का वही दिन है।"
सफाईकर्मी ने पूरे हज़मत सूट (वो सफेद सूट जो छत्ते में मधुमक्खियों के साथ काम करते हैं) पहनकर सफाई की। लिफ्ट, लॉबी, स्मोकिंग एरिया – सब साफ किया। आखिरकार 400 यूरो का जुर्माना लगा – 200 यूरो सफाईकर्मी के लिए और 200 यूरो कालीन बदलवाने के लिए।
अगले दिन जनाब खुद रिसेप्शन पर आए, हाथ जोड़कर माफी मांगी और चुपचाप निकल गए। होटल स्टाफ ने चैन की सांस ली, और कहानी आज तक याद रहती है।
ओकटोबरफेस्ट की और भी कहानियां: कम्युनिटी की राय
इस घटना पर कई लोगों ने अपनी राय भी रखी। एक पाठक ने लिखा, "इतना कम जुर्माना? जिस तरह से उसने गंदगी फैलाई, उसके मुकाबले और ज्यादा वसूलना चाहिए था!" किसी ने हंसी में कहा, "शिट होता है, सच में!" एक और ने मजाक में बोला, "आशा है कि डॉक्टर साहब ने अगली सर्जरी से पहले अच्छे से हाथ धोए होंगे!"
म्यूनिख के एक नागरिक ने साझा किया, "ओकटोबरफेस्ट के दौरान ट्रेनें इतनी गंदी हो जाती हैं कि हर कोने में उल्टी पड़ी होती है। मैं तो रात जल्दी ही घर चला जाता हूं।" एक और ने बताया, "हमारे यहां भी वाइन का त्योहार होता है। शराब कोई भी हो, हाल वही, हर जगह उल्टी और गंदगी।"
पर एक पाठक ने सही लिखा, "कम से कम उस डॉक्टर ने स्टाफ से लड़ाई नहीं की, न कोई बड़ा हंगामा किया। शुक्र है!"
निष्कर्ष: होटल वालों की असली परीक्षा
तो अगली बार जब आप किसी त्योहार या शादी में होटल जाएं, तो वहां के कर्मचारियों को सलाम जरूर करें। उनकी मेहनत और सहनशीलता के बिना ये उत्सव अधूरे हैं। ओकटोबरफेस्ट हो या कोई भी जश्न, असली हीरो वही हैं, जो मुस्कान के साथ हर मुश्किल संभालते हैं।
क्या आपके साथ कभी होटल में ऐसी कोई मजेदार या अजीब घटना हुई है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए! और हां, अगली बार जश्न में हद से ज्यादा नशा करने से बचिए – क्या पता, आपकी कहानी भी किसी ब्लॉग में छप जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: Oktoberfest