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ऑफिस में शरारत का हिसाब: जब क्रश किया बुएनो, तो जेब में गया क्वेवर्स का बुरा हाल

नाश्ते से भरा वेंडिंग मशीन, कंपनी कार्ड के उपयोग और कार्यस्थल की खाद्य संस्कृति को दर्शाता है।
एक फोटो-यथार्थवादी चित्रण जिसमें लजीज़ नाश्तों से भरा वेंडिंग मशीन दिखाया गया है, जो उस अनोखे कंपनी संस्कृति को उजागर करता है जहाँ कर्मचारी रोज़ाना ट्रीट्स के लिए भत्ता प्राप्त करते हैं। यह छवि कार्यस्थल में साझा करने और भाईचारे की भावना को कैद करती है, जिसमें स्वादिष्ट इनामों के साथ एक-दूसरे की मदद करने का विचार झलकता है।

क्या आपने कभी ऑफिस में वो दोस्त देखे हैं जो हर वक्त किसी न किसी शरारत में लगे रहते हैं? वैसे तो ऑफिस को लोग आमतौर पर गंभीर जगह मानते हैं, लेकिन कई बार वहां ऐसी हल्की-फुल्की मस्ती भी होती है जो जिंदगी भर याद रह जाती है। आज की कहानी भी एक ऐसी ही शरारती जंग की है, जिसका ‘मीठा’ बदला पढ़कर आप भी मुस्कुरा उठेंगे।

ऑफिस में मुफ्त की मिठाई और शरारत का तूफान

अब जरा सोचिए, आपके ऑफिस में एक वेंडिंग मशीन हो, जिसमें कंपनी की तरफ से लिमिटेड फ्री क्रेडिट मिले। ऐसे में अगर उसमें आपका सबसे पसंदीदा चॉकलेट – जैसे कि ‘किंडर बुएनो’ (वैसे हमारे यहाँ इसकी जगह डेयरी मिल्क या 5 स्टार सोच सकते हैं) – मिलता हो, तो काम के बीच-बीच में उसे खाना किसे अच्छा नहीं लगेगा?

ठीक ऐसा ही एक ऑफिस था जहाँ दो सहकर्मी (A और लेखक खुद) ऑफिस की वेंडिंग मशीन से बुएनो खरीदते थे। लेकिन उनकी खुशियों में बार-बार खलल डालता था एक तीसरा साथी, R, जिसे शायद दूसरों की मिठाई क्रश करना बड़ा मजेदार लगता था। R कभी चॉकलेट डेस्क पर छोड़ो तो हथौड़े की तरह मारता, कभी हाथ से झटक देता, तो कभी (अगर जेब में हो) शरारतन थप्पड़ भी मार देता।

R का तर्क था – “अरे, फ्री ही तो है, मजाक है!” लेकिन असल में जब बार-बार आपकी चीज़ खराब हो तो मजाक भी खटकने लगता है। A और लेखक ने कई बार समझाया, “भाई, रोक दे ये हरकत, वरना अच्छा नहीं होगा!” मगर R अपनी मस्ती से बाज़ नहीं आया।

बदले की तिकड़ी: जब नमकीन ने लिया मिठाई का बदला

एक दिन ऑफिस की वेंडिंग मशीन में बड़ा सा क्वेवर्स (ब्रिटेन का कुरकुरा स्नैक – यहाँ सोचिए बड़ा पैकेट चिप्स या हल्दीराम का नमकीन) आ गया। A और लेखक ने सोचा – चलो आज कुछ हटके करते हैं। जैसे ही R ने फिर से बुएनो क्रश किया, दोनों ने मिलकर क्वेवर्स के पैकेट खोले, उसमें से कुरकुरे चूर-चूर किए और R की जैकेट की दोनों जेबों में भरकर चुपचाप जिप बंद कर दी।

शाम को जब R घर जाने लगा, जैकेट पहनते हुए जैसे ही हाथ जेब में डाला, उसकी उंगलियां पूरी तरह नमकीन के बुरादे से भर गईं। पहले तो R को लगा, बस जेब जिप कर दी – हल्की शरारत है। लेकिन जैसे ही हाथ बाहर निकाले, चेहरा उतर गया – और बाकी सब फूट-फूटकर हंसने लगे।

लेखक ने बस इतना कहा, “अब हमारे बुएनो को छोड़ दे!” R को सब समझ में आ गया, बोला – “समझ गए, समझ गए, अब शांति!” और इसके बाद पूरे दो साल तक किसी ने उनके बुएनो को हाथ नहीं लगाया। कहना गलत न होगा – नमकीन ने मिठाई का बदला ले लिया!

कम्युनिटी की राय: "मजाक कब हद पार कर जाता है?"

रिडिट पर इस किस्से को पढ़कर बहुत सारी प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ लोग हैरान थे कि R बार-बार ऐसी हरकत करता रहा, तो किसी ने कहा, “अगर हमारे ऑफिस में कोई ऐसा करता, तो सीधा HR में रिपोर्ट कर देते!” (जैसे हमारे यहाँ भी अक्सर कहा जाता है – “सीधी कंप्लेन कर दे, नौकरी से जाएगा।”)

एक कमेंट में लिखा था, “अगर कोई मेरे चॉकलेट को हाथ लगाता, तो मैं भी उसकी चीज़ का बुरा हाल कर देता!” वहीं कुछ ने हंसी-मजाक में कहा, “इस तरह का मजाक दोस्ती तक ठीक है, लेकिन ऑफिस में सबकी सीमा होती है।”

लेखक ने खुद भी साफ किया – “हम सब अच्छे दोस्त हैं, ये बस हल्की-फुल्की मजाक थी। HR में जाने की कोई जरूरत नहीं थी, वरना दोस्ती ही टूट जाती।” सच बात है, अक्सर हम-आप भी दोस्तों के साथ ऐसे मज़ाक कर जाते हैं, जो बाहर वालों को अजीब लग सकता है।

भारतीय नजरिया: मजाक, मर्यादा और दोस्ती

हमारे यहाँ भी ऑफिस में हल्की-फुल्की चुहल आम है – कोई चाय के साथ बिस्किट चुरा ले, कोई टिफिन में से समोसा निकाल ले, तो कोई वॉट्सऐप पर फर्जी मैसेज भेज दे। लेकिन जहाँ तक दोस्ती की बात है, वहां एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना भी जरूरी है। मजाक तब तक ही अच्छा है, जब तक सामने वाले को बुरा न लगे।

जैसा एक कमेंट में कहा गया, “मजाक में भी हद होनी चाहिए, नहीं तो दोस्ती में दरार आ सकती है।” यह बात बिलकुल सही है। एक और पाठक ने लिखा, “अगली बार किसी की चीज़ खराब करने की सोचो, तो याद रखना – बदला लेने वाला भी तुम्हारे आसपास हो सकता है!”

निष्कर्ष: क्या आपने भी लिया है ऐसा मीठा बदला?

कहानी से एक बात तो साफ है – ऑफिस की जिंदगी में हल्की-फुल्की शरारतें रंग भर देती हैं, लेकिन मर्यादा और सीमा का ध्यान रखना भी जरूरी है। अगर कभी आपके साथ भी ऐसी कोई शरारत या बदला हुआ हो, तो हमें जरूर बताएं! आपकी कहानी भी यहां सबको हंसा सकती है।

तो अगली बार जब किसी दोस्त की चॉकलेट पर नजर पड़े, सोच लीजिए – कहीं आपकी जेब में नमकीन न आ जाए!

आपको यह किस्सा कैसा लगा? क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे ‘महान’ शरारती लोग हैं? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें!


मूल रेडिट पोस्ट: Keep crushing my food, I'll return the favour with interest