ऑफिस में वो ‘एक’ सहकर्मी: जब Dr. Pepper की एक्सपायरी ने मचाया बवाल!
क्या आपने कभी अपने ऑफिस में ऐसे सहकर्मी के साथ काम किया है, जो हमेशा सही होने का दावा करता है और अपनी गलती मानना उसके लिए नामुमकिन सा है? अगर हाँ, तो आपको आज की ये कहानी ज़रूर पसंद आएगी। नए साल की शाम थी, माहौल में रौनक थी, और हमारे नायक को पहली बार गिफ्ट शॉप का स्टॉक इन्वेंट्री करने का जिम्मा मिला। मगर कौन जानता था कि एक बोतल Dr. Pepper की एक्सपायरी डेट इतनी बड़ी बहस का मुद्दा बन जाएगी!
जब तारीखें उलझा दें: Dr. Pepper की एक्सपायरी पर घमासान
हमारे नायक ने बड़ी ईमानदारी से गिफ्ट शॉप के स्टॉक की गिनती शुरू की। तभी उनकी नजर Dr. Pepper की बोतलों पर पड़ी, जिनकी एक्सपायरी डेट थी – 12-26। यानी 26 दिसंबर! भारतीय संदर्भ में बात करें तो, जैसे घर में दही या दूध की तारीख देखकर माँ झट से कह देती हैं, "बेटा, ये फेंक दो, अब इसका स्वाद खराब हो जाएगा!" वैसे ही, उन्होंने भी बोतलों को शॉप से हटाने की सलाह दी।
लेकिन तभी शुरू हुआ असली ड्रामा! उनकी एक अनुभवी सहकर्मी (जो अक्सर हर बात में खुद को सही साबित करने पर तुली रहती थीं) ने बड़े ही तंज भरे अंदाज़ में पूछा, "क्या तुम पक्के हो कि ये साल नहीं लिखा है?" इसपर हमारे नायक ने भी बिना झिझक जवाब दिया, "हाँ, मुझे नहीं लगता कि कोई ठंडा पेय 4 साल तक अच्छा रह सकता है!"
यहाँ भारतीय ऑफिस का वो ‘ज्ञानचक्षु’ सहकर्मी याद आ गया, जो हर नई बात पर अपनी राय देना ज़रूरी समझता है, चाहे उसे असलियत का कोई अंदाज़ा हो या नहीं!
एक्सपायरी डेट: सिर्फ पश्चिमी देशों की पहेली नहीं
इस बहस का असली मज़ा तब आया, जब बाकी लोग भी अपने-अपने अनुभव लेकर कूद पड़े। एक कमेंट करने वाले ने अपने कैरिबियन यात्रा का किस्सा सुनाया – उन्होंने गलती से दो साल पुरानी कोला पी ली थी और उसका स्वाद इतना खराब था कि उन्हें तुरंत थूकना पड़ा! यानी, ठंडे पेयों की एक्सपायरी कोई मज़ाक नहीं है, चाहे आप भारत में हों या सात समंदर पार।
दूसरे पाठकों ने भी एक अहम सवाल उठाया – "क्या वाकई ये तारीख साल की थी?" असल में, बहुत से लोगों को ये पता ही नहीं होता कि सॉफ्ट ड्रिंक कितने महीने तक अच्छी रहती है। एक कमेंट के मुताबिक, Dr. Pepper जैसी ड्रिंक्स आमतौर पर 9 महीने (और डाइट वर्ज़न सिर्फ 3 महीने) तक ही बढ़िया रहती हैं। कोई ये भी सोच सकता है – "अरे, ये तो हमारी माँ के अचार से भी कम टिकाऊ है!"
ऑफिस की राजनीति और ‘सही’ होने की ज़िद
अब बात करते हैं उस सहकर्मी की, जो कभी हार नहीं मानती। हमारे लेखक ने भी खुद बताया कि वो महिला पाँच साल से वहाँ काम कर रही थीं और स्टॉक घुमाने का आसान तरीका भी उन्हीं ने सिखाया था। फिर भी, जब गलती मानने की बारी आई, तो ego बीच में आ ही जाती है।
एक कमेंट में किसी ने लिखा, "हो सकता है सहकर्मी को सच में पता न हो, आखिर हर कोई सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता।" मगर, लेखक ने जवाब दिया कि इतनी अनुभवी होने के बावजूद, उन्होंने ज़िद नहीं छोड़ी। ये तो वैसे ही हुआ, जैसे ऑफिस के ‘सिनियर’ कर्मचारी नया सिस्टम आने पर भी पुरानी फाइलों में ही उलझे रहते हैं!
एक्सपायरी के बाद क्या करें? भारतीय तरीका अपनाएँ!
अब सवाल ये है कि अगर कोई सामान एक्सपायर हो जाए, तो क्या करना चाहिए? एक पाठक ने सुझाव दिया कि ऐसी चीज़ें कर्मचारियों में मुफ्त बाँट दी जाएँ – आखिर भारतीय ऑफिस में भी अक्सर त्योहारों के बाद बचा हुआ मिष्ठान या नमकीन स्टाफ के बीच बाँट दिया जाता है। यहाँ भी वही हुआ – लेखक ने बताया कि उनकी शॉप में एक्सपायरी के बाद सामान कर्मचारियों को दे दिया जाता है, ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर!
एक और पाठक ने बड़े काम की बात कही – "हर चीज़ की एक्सपायरी होती है, पर असली समझदारी है ये जानना कि वो कब तक खाने-पीने लायक है।" भारत में भी दादी-नानी अक्सर कहती हैं, "बेटा, सूंघ के देखो, अगर महक ठीक है तो इस्तेमाल कर लो!"
निष्कर्ष: क्या आपने भी ऐसी ऑफिस कहानी झेली है?
तो दोस्तों, ऑफिस की ये छोटी-छोटी नोकझोंक और ‘सही’ होने की ज़िद हर जगह एक जैसी है – चाहे आप दिल्ली के कॉरपोरेट ऑफिस में हों या अमेरिका की गिफ्ट शॉप में। अगली बार जब आपके ऑफिस में किसी एक्सपायरी डेट या किसी ‘पक्के’ सहकर्मी को लेकर बहस छिड़े, तो मुस्कुरा दीजिए और सोचिए – "ये कहानी तो मैंने भी कहीं सुनी है!"
आपकी ऑफिस में भी ऐसा कोई क़िस्सा हुआ हो, तो हमें कमेंट में ज़रूर बताइए। साथ ही, अगली बार अगर कोई सहकर्मी एक्सपायरी डेट को लेकर कन्फ्यूज हो, तो ये ब्लॉग याद दिला देना – क्योंकि हर दफ़्तर में एक ‘Dr. Pepper’ बहस ज़रूर होती है!
मूल रेडिट पोस्ट: Coworkers...well some coworkers.