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ऑफिस में 'बिजली के देवता' और माइक्रोवेव का महा-हवन!

ऑफिस में सहकर्मियों के बीच एक आदमी जो चम्मच से माइक्रोवेव में चौंक जाता है।
एक फिल्मी क्षण में, हमारे दफ्तर का अनजाना नायक अपनी लंच को धातु के चम्मच से गर्म करता है, जिससे चिंगारियां और हंसी फूट पड़ती हैं। क्या वह कभी सीखेगा?

ऑफिस का माहौल वैसे ही रोज़ाना की नीरसता में डूबा रहता है, लेकिन कभी-कभी कोई ऐसा किस्सा हो जाता है कि हंसी रोकना मुश्किल हो जाए। कुछ लोग होते हैं जो अपनी मासूमियत और अजीब हरकतों से ऑफिस की बोरियत को चुटकियों में दूर कर देते हैं। आज की कहानी एक ऐसे ही 'केविन' टाइप सहकर्मी की है जिसने विज्ञान को भी चमत्कार बना दिया!

जब 'बिजली के देवता' कुपित हो गए

तो हुआ यूँ कि ऑफिस के 'महाशय' (जिन्हें हम प्यार से 'केविन' ही कहेंगे), अपना टिफिन गरम करने के लिए माइक्रोवेव के पास जा पहुँचे। जल्दी-जल्दी में, उन्होंने डिब्बे के साथ सारा सामान वैसे का वैसा ही डाल दिया—यहाँ तक कि स्टील का कांटा भी! जैसे ही माइक्रोवेव ऑन हुआ, अंदर से चिंगारियाँ ऐसे निकलने लगीं जैसे दशहरे के मेले में पटाखे फूट रहे हों।

सब लोग घबराकर चिल्लाए—"अरे, बंद करो! आग लग जाएगी!" लेकिन हमारे 'केविन' पूरी गंभीरता के साथ बोले, "लगता है आज बिजली के देवता नाराज़ हैं।" भला हो उनका मासूमियत भरा आत्मविश्वास! ऑफिस के बाकी लोग तो हैरान, किसी की हँसी छूट गई, किसी का माथा ठनका—ये कौन सी नई पूजा शुरू हो गई भाई?

'रीसेट अनुष्ठान' और मैनेजमेंट की पाठशाला

केविन जी पर यहीं नहीं रुके। उन्होंने सुझाव दिया कि शायद अब हमें "रीसेट अनुष्ठान" करना चाहिए। सब सोच रहे थे कि अब ये हवन-पूजन के लिए अगरबत्ती, कपूर और नारियल ले आएंगे, लेकिन उनका अनुष्ठान था—माइक्रोवेव को निकालकर फिर से प्लग में लगाना। बड़े ही गौरव से उन्होंने ये किया, जैसे ऑफिस को किसी बुरी आत्मा से मुक्ति दिला रहे हों।

जब मैनेजमेंट ने उन्हें समझाया कि "भैया, माइक्रोवेव में मेटल रखना मना है," वो ऐसे सिर हिला रहे थे जैसे पुराणों की कोई गुप्त विद्या मिल गई हो। एक कमेंट में किसी ने लिखा—"ये महाशय तो एक ब्रेन सेल की दूरी पर हैं, कहीं गलती से खुद का पंथ न बना लें!"

तकनीक का 'जादू' और भारतीय जुगाड़

अगर कभी आपके साथ ऐसा हुआ हो, तो सोचिए, हमारे यहाँ भी तो नानी-दादी के किस्सों में 'बिजली का भूत' या 'पंखा खुद-ब-खुद चलना बंद' जैसी बातें खूब सुनने को मिलती हैं। एक यूज़र ने कहा, "तकनीकी चमत्कारों को समझने के बजाय लोग उसमें जादू खोज लेते हैं।" जैसे गाँव में अगर ट्रैक्टर चालू न हो तो कोई कहता है—'शायद किसी की बुरी नज़र लग गई!'

एक और कमेंट की बात करें तो किसी ने मज़ाक में कहा—"मुझे भी बचपन में लगता था कि टीवी के अंदर छोटे लोग बैठकर डांस करते हैं।" ये बातें सुनकर लगता है कि तकनीक और जादू का मेल सिर्फ हमारे यहाँ नहीं, दुनियाभर में चलता है। एक यूज़र ने तो यहाँ तक कह दिया—"माइक्रोवेव में मेटल डालना सीधा 'बिजली के देवता' का अपमान है, अब तो 'रीसेट अनुष्ठान' ज़रूरी है!"

ऑफिस हँसी-मज़ाक: गंभीरता या चुपचाप मज़ाक?

कुछ लोगों को लगा कि केविन जी वाकई इतने मासूम हैं या फिर ये सब शर्म छुपाने की एक्टिंग थी। एक कमेंट में लिखा था—"अगर मैं ऐसी गलती करता, तो भी शायद यही बोल देता कि 'बिजली के देवता कुपित हो गए', ताकि सबकी हँसी में अपनी गलती छुप जाए।" ऑफिस की दुनिया में ऐसे चुटकुले आम हैं—कभी कोई प्रिंटर बंद हो जाए तो कोई कहता है, 'इसे नमक खिलाओ, मूड बन जाएगा!'

और वैसे भी, हम भारतीयों के लिए तकनीक भी अक्सर 'जुगाड़' और 'किस्मत' के भरोसे चलती है। जैसे कंप्यूटर बंद हो जाए तो सबसे पहले पावर निकालकर दुबारा लगाते हैं—क्या पता 'रीसेट अनुष्ठान' से सब ठीक हो जाए!

निष्कर्ष: विज्ञान या विश्वास—हँसते रहो, सीखते रहो!

इस पूरे किस्से से एक बात तो पक्की है—ऑफिस चाहे अमेरिका का हो या भारत का, ऐसे 'केविन' हर जगह मिल जाते हैं, जो रोज़मर्रा की जिंदगी में हँसी का मसाला डाल देते हैं। तकनीक को लेकर हमारी सोच भले बदल रही हो, लेकिन थोड़ी-सी 'मासूमियत' और 'जादू' का तड़का बातचीत में हमेशा मज़ा ला देता है।

तो अगली बार अगर ऑफिस में कोई मिस्ट्री हो जाए—चाय का केतली अचानक बंद हो जाए या प्रोजेक्टर ऑन न हो—तो 'बिजली के देवता' का नाम लेकर हँसी जरूर बाँटिए, और हो सके तो 'रीसेट अनुष्ठान' भी आजमा लीजिए!

आपके ऑफिस में भी कोई ऐसा 'केविन' है? या कभी ऐसी मजेदार घटना हुई हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए और इस पोस्ट को दोस्तों के साथ शेयर कीजिए—क्या पता, अगली बार कोई नई 'देवता कथा' बन जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: my coworker microwaved a fork and confidently blamed “the electricity spirit”