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ऑफिस के वो सहकर्मी, जिनसे बचना ही भला! – एक फ्रंट डेस्क की अनकही कहानी

काम पर परेशान सहकर्मी और तंग करने वाले सहयोगी के साथ जूझते हुए एनीमे-शैली का चित्रण।
इस जीवंत एनीमे दृश्य में, हमारा नायक एक तंग करने वाले सहकर्मी की अराजकता से जूझ रहा है। क्या आप कार्यस्थल की इस जद्दोजहद से जुड़ाव महसूस करते हैं? हमारे नवीनतम ब्लॉग पोस्ट, "सहकर्मी! नहीं धन्यवाद," में शामिल हों, जहां हम सहकर्मियों के साथ अपनी मजेदार और परेशान करने वाली अनुभवों को साझा करते हैं!

ऑफिस में काम करना सबको आता है, लेकिन हर जगह वो दो-चार लोग जरूर मिलेंगे, जिनकी वजह से हर दिन एक नया ड्रामा बन जाता है। आज की कहानी एक होटल की फ्रंट डेस्क से है, जहाँ सहकर्मी, काम और खीझ – तीनों का तड़का लगा है! अगर आपके ऑफिस में भी कोई 'मूडी मास्टर' या 'बकबक बॉस' है, तो ये किस्सा आपके दिल को छू जाएगा।

जब सहकर्मी ही सिरदर्द बन जाएँ

जैसा कि हमारे एक फ्रंट डेस्क कर्मी ने Reddit पर साझा किया, ऑफिस में कुछ साथी तो बड़े ही प्यारे होते हैं – मिलनसार, मददगार और हमेशा मुस्कुराते। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनसे बचकर निकल जाना ही सबसे अच्छा उपाय है। यहाँ कहानी है एक ऐसे ही 'वीकेंड/रिलीफ' सहकर्मी की, जो हर वक्त बेमतलब की बातें करता है और महिलाओं को "मुस्कुराओ" कहकर परेशान करता है।

अब ज़रा सोचिए, आप सुबह-सुबह होटल के रिज़र्वेशन सिस्टम से जूझ रहे हों, लॉगिन करने की कोशिश कर रहे हों, और तभी कोई आकर कहे, "थोड़ा मुस्कुरा लो न!" – भाई साहब, ये काम है या शादी का मंडप? हमारी नायिका ने भी झल्लाकर कह दिया, "मुझे मुस्कुराने की कोई जरूरत नहीं है, खासकर जब आप आस-पास हों!"

ऑफिस की राजनीति और 'मुफिन' की महाभारत

यहाँ सिर्फ बातें ही नहीं, काम पर भी खींचातानी है। होटल में कोविड के समय से एक नई परंपरा शुरू हुई थी – हर सुबह ताजे 'मुफिन' आकर खुद पैक करने पड़ते हैं। अब हमारे साहब को ये काम भी पसंद नहीं है। कहते हैं, "मैनेजमेंट पहले से पैक्ड मुफिन क्यों नहीं लाता?" और जब बताया गया कि लोकल बेकरी से आते हैं और लोग इन्हें पसंद भी करते हैं, तो फिर बहस – "पैकिंग में बहुत टाइम लगता है!"

लेकिन असलियत ये है कि हमारी फ्रंट डेस्क नायिका ने तो 3 मिनट में 6 मुफिन पैक करने की सुपरफास्ट तकनीक इजाद कर रखी है! और जब यही तकनीक उस सहकर्मी को बताई थी, तब तो जनाब खुद ही कह उठे थे, "वाह, ये तो गेमचेंजर है!" लेकिन आज फिर वही राग – "घंटों लगते हैं!" भाई, ये वही बात हो गई – 'ना खुद करेंगे, ना करने देंगे'!

"मुस्कुराओ!" – ये कहना कितना असभ्य है?

हमारे समाज में भी अक्सर महिलाएँ ऑफिस में यही सुनती हैं – "इतना गुस्से में क्यों हो?", "थोड़ा मुस्कुरा दो!" Reddit की कहानी में भी यही हुआ। जब बार-बार हमारी नायिका से मुस्कुराने को कहा गया, तो उन्होंने साफ बोल दिया – "किसी भी इंसान को यूँ मुस्कुराने के लिए कहना बेहद असभ्य है, और जब कोई आदमी महिला से कहे तो और भी खराब!"

इस पर Reddit कम्युनिटी में एक सदस्य ने मजाकिया अंदाज में लिखा, "कुछ सहकर्मी ऐसे होते हैं, जैसे सीढ़ी से गिराने में ही असली खुशी मिले!" (यानि, उनसे दूरी ही भली)। एक और कमेंट में किसी ने कहा, "मुझे तो ऑफिस का मक्खी मारने वाला भी जान से प्यारा है, क्योंकि कभी-कभी तो उसे भी सहकर्मी पर चला देने का मन करता है!"

जब मैनेजमेंट भी छुट्टी पर, तो कौन सुने फरियाद?

इस कहानी का असली मजा तब आया, जब सहकर्मी हर बात के लिए शिकायत करता रहा – "सुबह वाली लेडी लेट आती है", "मुफिन पैकिंग बेकार है", "मैनेजमेंट कुछ करता क्यों नहीं?" – और हमारी नायिका ने हर बार यही कहा – "अगर इतना ही बुरा लगता है तो मैनेजर से बात करो, लेकिन वो भी छुट्टी पर हैं!"

Reddit पर कई लोग बोले – "ऐसे लोगों को हकीकत का आईना दिखाना जरूरी है", तो किसी ने कहा, "मुझे भी एक बार असिस्टेंट मैनेजर बनने का ऑफर मिला था, लेकिन जब पता चला कि डांटने का हक नहीं मिलेगा, तो मैंने मना कर दिया!" एक और कमेंट ने दिल छू लिया – "ऑफिस में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनसे छुट्टी मिलने पर ही सुकून आता है!"

ऑफिस की दुनिया – कहीं खुशी, कहीं ग़म

सच कहें तो, ऑफिस में हर तरह के लोग मिलेंगे। कोई बेवजह बड़बोला, कोई तकनीक में कच्चा, तो कोई खुद को ही बॉस समझने वाला। Reddit की इस कहानी में भी यही झलक है – जहाँ एक साथी अपनी धुन में, दूसरे का चैन छीन लेता है। लेकिन हमारी नायिका ने आखिर में जो किया, वो हम सबके लिए सबक है – "काम में लग जाओ, बकबक करने वालों को खुद ही थक जाने दो!"

आखिर में, उन्होंने अपना पसंदीदा ऑडियोबुक लगाया, मुफिन पैक किए और अपने काम में खो गईं। और यही है असली जुगाड़ – 'काम करो, कान में इयरफोन डालो, और दुनिया की टेंशन को दूर भगाओ!'

निष्कर्ष – आपके ऑफिस में भी है ऐसा कोई?

क्या आपके ऑफिस में भी कोई ऐसा सहकर्मी है, जिससे आप दिन में तीन बार 'मक्खी मार' चलाना चाहते हैं? या कोई जो हर बात में टांग अड़ाता है? नीचे कमेंट में अपने अनुभव जरूर साझा करें। और याद रखिए, नौकरी में असली कलाकार वही है, जो इन सबको झेलकर भी मुस्कुराता है – और वो भी अपनी मर्जी से, न कि किसी के कहने पर!

तो अगली बार जब कोई "मुस्कुराओ" कहे, तो आप भी कह सकते हैं – "मुस्कान हमारी मर्जी है, काम में ही हमारी खुशी है!"


मूल रेडिट पोस्ट: Coworkers! No thank you