ऑफिस की राजनीति और HR: जब कर्मचारी ने कंपनी को उसकी ही चाल में फँसा दिया
दोस्तों, आज की कहानी उन सभी लोगों के लिए है, जो ऑफिस की राजनीति और HR की असलियत से दो-चार हो चुके हैं। आपने अक्सर सुना होगा – "HR तो हमेशा कंपनी का ही साथ देता है, कर्मचारी की भलाई किसे चाहिए?" लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की हो, तब ये खेल और भी दिलचस्प हो जाता है।
मान लीजिए, आप बरसों से एक कंपनी में मेहनत कर रहे हैं, हर संकट झेल रहे हैं, और जब आपको मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तब आपका साथ देने वाला कोई नहीं मिलता। ऐसे में क्या किया जाए? आज की कहानी पढ़ेंगे तो शायद आपको भी अपने ऑफिस के किस्से याद आ जाएँ!
जब मेहनत का कोई मोल नहीं रहा
हमारे नायक (चलो, इन्हें "रवि" कह लेते हैं), पिछले कई सालों से अपनी कंपनी में जी-जान से काम कर रहे थे। लेकिन हालात कुछ ऐसे हुए कि मानसिक दबाव बढ़ता गया – ग्राहक की डिमांड्स, लंबा वर्कलोड, और ऊपर से अपने ही बॉस की टेढ़ी नज़र। रवि ने कई बार अपने मैनेजर और HR से मदद की गुहार लगाई, "भाई, थोड़ा काम कम कर दो या टीम बदल दो!" लेकिन हर बार जवाब वही – "क्लाइंट का प्रेशर है", "रिप्लेसमेंट नहीं मिला", "थोड़ा और इंतज़ार करो"।
जैसे हमारे यहाँ की कहावत है, "ऊँट के मुँह में ज़ीरा", वैसे ही रवि की गुहार HR के लिए थी। वो जानते थे, HR का असली काम कंपनी को कोर्ट-कचहरी से बचाना है, कर्मचारी को नहीं!
HR की चालाकी और रवि की सूझबूझ
एक दिन अचानक रवि को HR डायरेक्टर (जो संयोग से CEO की पत्नी भी थीं!) ने बुलाया। दो विकल्प दिए – या तो अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलो और नौकरी से निकाल दिए जाओ, या फिर डिसएबिलिटी (विकलांगता/बीमारी की छुट्टी) ले लो। रवि तो महीनों से डिसएबिलिटी के लिए लड़ रहे थे, उन्हें लगा – चलो, अंत भला तो सब भला! लेकिन HR ने शर्त रखी – "आज ही डॉक्टर से पेपरवर्क पूरा करवाओ।"
अब भारत में भी ऐसे कई दफ्तर हैं, जहाँ HR की ये टोन सुनकर लोग डर जाते हैं। लेकिन रवि ने भी सोच लिया, "मालिक की मर्जी तो देख ली, अब अपनी भी चला लें!" दो घंटे ट्रैफिक में झूलते हुए डॉक्टर के पास पहुँचे। डॉक्टर साहिबा खुद छुट्टी से लौटी थीं, काम की कतार लंबी थी। रवि ने डॉक्टर को बोला, "HR से चाहे जितनी बदतमीज़ी कर लो, मुझे कोई परेशानी नहीं!" डॉक्टर ने HR को ऐसी ईमेल ठोकी कि अगले ही पल HR की आवाज़ नरम पड़ गई – "ठीक है, एक हफ्ते में पेपरवर्क ले आना।"
यहाँ एक Reddit यूज़र ने कमेंट किया, "डॉक्टर के सामने HR की एक नहीं चलती। डॉक्टर का 'क्योंकि मैंने कह दिया' कार्ड सबसे भारी पड़ता है!" और ये बात हमारे देश में भी खूब लागू होती है – सरकारी कागज़ात में डॉक्टर की मोहर गोल्डन टिकट से कम नहीं।
HR: कंपनी का वकील या कर्मचारी का हमदर्द?
अब सवाल ये है – HR आखिर करता क्या है? एक पाठक ने लिखा, "HR का काम कंपनी को कोर्ट से बचाना है, कर्मचारी की भलाई से उनका कोई लेना-देना नहीं।" तो वहीं, कुछ लोग ये भी मानते हैं कि कभी-कभी HR कर्मचारी का साथ देता है, लेकिन सिर्फ़ तब जब कंपनी को नुकसान होने की संभावना हो! जैसे एक कमेंट में कहा गया, "HR कर्मचारी को बचाता है, ताकि कंपनी पर केस न हो जाए।"
भारत में भी ज्यादातर लोग जानते हैं, HR का असली बॉस वो नहीं, जिसे आप रिपोर्ट करते हैं, बल्कि कंपनी के ऊँचे ओहदे वाले लोग हैं। और जब HR डायरेक्टर खुद CEO की पत्नी हो, तो भाईसाहब, 'घर की बात घर में ही रह जाती है'। एक पाठक ने मज़ाक में लिखा, "HR को 'मानव संसाधन' कहते हैं, क्योंकि कंपनी के लिए हम सब बस एक संसाधन हैं – जैसे कंप्यूटर, कुर्सी या पंखा!"
कर्म का हिसाब और कर्मचारी की जीत
रवि ने कंपनी को सालों दिए, लेकिन बदले में मिला धोखा। पर कहते हैं न, "ऊपर वाला देर से न्याय करता है, पर करता ज़रूर है।" क्लाइंट ने भी कंपनी को अलविदा कह दिया, मतलब CEO और उनकी पत्नी (HR हेड) का बैंक बैलेंस अब हल्का होने वाला था। Reddit पर किसी ने चुटकी ली, "कर्मा को अकेले मत छोड़ो, उसकी मदद करो – थोड़ा मसालेदार बनाओ!" रवि का 'मैलिशियस कंप्लायंस' यानी 'चालाक आज्ञापालन' कंपनी के लिए भले ही छोटा झटका था, लेकिन दिल को तसल्ली देने वाला था।
अंत में रवि ने जो सीखा, वो हम सबके लिए सबक है – दफ्तर में वफादारी दिखाओ, लेकिन अपनी सेहत और आत्म-सम्मान के साथ कभी समझौता मत करो। एक पाठक ने सही कहा, "लॉयल्टी का कोई मोल नहीं, अगर उसकी कीमत आपकी सेहत है।"
अंत में आपकी राय?
तो साथियों, क्या आपके साथ भी कभी ऑफिस में ऐसा कुछ हुआ है? क्या HR ने आपकी मदद की, या कंपनी का ही पक्ष लिया? नीचे कमेंट में अपने किस्से ज़रूर सुनाएँ – क्योंकि असली मज़ा तो अपने-अपने अनुभव बाँटने में है। और हाँ, अगली बार जब कोई बोले – "HR तो बड़ा मददगार है", तो बस मुस्कुरा देना, क्योंकि अब आप जानते हैं – असल कहानी क्या है!
मूल रेडिट पोस्ट: HR are there to protect the company. Not their employees