ऑफिस की राजनीति और ईमेल का बदला: जब 'रोज़ी' को उन्हीं के हथियार से मिली मात

एक टीम की बैठक जिसमें एक कर्मचारियों की चिंता और एक सजग सहकर्मी, कार्यस्थल की गलतियों पर विचार करते हुए।
इस फोटो में एक तनावपूर्ण टीम मीटिंग का दृश्य है, जहाँ एक कर्मचारी पर निगरानी का बोझ है, जो कार्यस्थल की जटिलताओं और जिम्मेदारियों को दर्शाता है।

कहते हैं, “जैसा करोगे, वैसा भरोगे।” ऑफिस की दुनिया में ये कहावत और भी सटीक बैठती है। आज की कहानी है उन लोगों के लिए जो दूसरों की छोटी-छोटी ग़लतियों को बढ़ा-चढ़ाकर बॉस को बताने में सबसे आगे रहते हैं – और फिर जब खुद पर वही बीतती है, तो हाल देखने लायक हो जाता है!

अब ज़रा सोचिए, आपके ऑफिस में कोई ऐसा है जो छोटी-सी टाइपिंग मिस्टेक, एक्सेल शीट में एक फील्ड की कमी या जरा-सी चूक भी पकड़ लेता है और तुरन्त एक लंबा ईमेल ठोक देता है – ऊपर से बॉस को भी CC कर देता है! ऐसे लोगों को देखकर तो मन करता है, “भाई, काम कर लो, बाकी सब छोड़ो!”

ऐसी ही एक रोज़ी नाम की सहकर्मी थीं, जिनका काम था ग़लतियाँ पकड़ना, चाहे वो कितनी भी मामूली क्यों न हों। खुद जिम्मेदारी से कोसों दूर, लेकिन दूसरों की ग़लती बॉस तक पहुँचाना उनका परम धर्म था। सालों तक रोज़ी ने यही खेल खेला – किसी ने टाइपो किया? ईमेल! कोई कॉलम छूट गया? ईमेल! और हर बार बॉस की CC.

कहानी में ट्विस्ट तब आया जब रोज़ी का पुराना शिकार, जो अब दूसरी टीम में था, फिर उसी ऑफिस में आ गया। इस बार रोज़ी की टीम में काम कम था, तो उसे डेटा एंट्री का काम सौंपा गया – उसी टीम के लिए जिसमें उसका पुराना साथी था। अब सोचिए, खुद दूसरों की ग़लतियाँ पकड़ने वाली रोज़ी से भी कभी-कभी चूक हो जाती थी – आखिर इंसान ही तो हैं!

लेकिन यहाँ पर हमारे नायक ने वही दांव चला जो रोज़ी ने सिखाया था – रोज़ी की हर छोटी-बड़ी ग़लती पर स्क्रीनशॉट, तगड़ा तर्क और ईमेल...साथ में रोज़ी के सुपरवाइज़र की CC! और ईमेल में कोमलता के साथ, “कोई बात नहीं, मैं सुधार दूँगा, बस आपको जानकारी देना चाहा।”

यकीन मानिए, रोज़ी का चेहरा देखने लायक होता होगा! एक पाठक ने बड़े चुटीले अंदाज़ में लिखा – “अब रोज़ी को भी वही मज़ा आ रहा होगा, जो वो दूसरों को देती थी!” और सच कहें तो, ये तो वही बात हो गई जैसे हिंदी फिल्मों में हीरो विलेन को उन्हीं के हथियार से हराता है।

ऑफिस की राजनीति में ये CC कल्चर बड़ा मशहूर है। कई बार लोग छोटी-छोटी बातों पर बॉस को ईमेल में घसीट लेते हैं, जैसे कि “देखो, मैंने पकड़ लिया, अब सबको पता चले!” लेकिन एक अनुभवी पाठक ने बढ़िया कहा, “भले ही ग़लती छोटी हो, लेकिन सबके सामने उंगली उठाने से माहौल बिगड़ता है। असली प्रोफेशनल वही है जो चुपचाप सुधार कर आगे बढ़ जाए।”

एक और कमेंट में किसी ने तो ये तक कहा, “हमारे यहाँ भी एक रोज़ी थी, जो जब अपनी ग़लती पकड़ी जाती थी तो बॉस को CC करना भूल जाती थी!” ऐसी चालाकी तो किसी भी भारतीय दफ्तर में आम है – अपनी ग़लती दिखी तो ‘सिस्टम की दिक्कत’ और दूसरों की हो तो ‘बड़ी चूक’!

मजे की बात ये रही कि ज्यादातर पाठकों को ये petty revenge (छोटी बदला) बड़ा satisfying लगा। किसी ने लिखा, “लंबे समय बाद इस तरह का बदला देखकर दिल को ठंडक मिली।” एक और पाठक ने तो इसे ‘कॉर्पोरेट पॉलिटिक्स का क्लासिक जवाब’ कहा।

हमारे यहां दफ्तरों में भी यही होता है – कुछ लोग दूसरों की ग़लती पर बवाल मचाते हैं, लेकिन खुद की बारी आई तो चुपके से निकल लेते हैं। ऐसे में जो लोग रोज़ी जैसी हरकतें करते हैं, उन्हें कभी न कभी उन्हीं के हथियार से मात मिल ही जाती है। इसी को तो असली ‘संतोषजनक बदला’ कहते हैं!

कई पाठकों ने यह भी कहा कि ऐसे CC वाले ईमेल का असली मकसद सहयोग नहीं, बल्कि दबाव बनाना होता है, ताकि लोग डर के मारे गलती न करें। लेकिन क्या गलती करना इंसानियत का हिस्सा नहीं है? एक पाठक ने सही कहा – “अगर आप मेरे काम की क्वालिटी पर सवाल उठाना चाहते हैं, तो सामने आकर कहो, छुप-छुप कर बॉस को बताने से क्या मिलेगा?”

इस पूरी घटना से एक सीख भी मिलती है – ऑफिस में सभी के साथ व्यावहारिकता और विनम्रता से पेश आना चाहिए। छोटी-मोटी ग़लतियों को बढ़ा-चढ़ाकर न दिखाएं, बल्कि एक टीम की तरह एक-दूसरे को सुधारते रहें। आखिरकार, कल को वही मौका आपके साथ भी आ सकता है!

तो अगली बार जब आपके ऑफिस में कोई रोज़ी जैसी शख्सियत दिखे, तो याद रखिए – जैसा दोगे, वैसा ही लौटकर आएगा। और कभी-कभी, थोड़ा-सा petty revenge भी ऑफिस की बोरियत दूर कर देता है!

आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा कोई वाकया हुआ है? क्या आपके पास भी कोई ‘रोज़ी’ है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें और इस मज़ेदार कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!


मूल रेडिट पोस्ट: Thought we always cc'ed the boss on mistakes