ऑफिस की बहाली और पोर्न की पोल: जब 'जरूरी फाइलें' बनीं आफत की जड़
कभी-कभी दफ्तर की दुनिया क्रिकेट के मैदान से कम नहीं लगती—हर रोज़ कोई न कोई नया ड्रामा, अजीबोगरीब हरकत और सबसे ऊपर, सबकी अपनी-अपनी चालें! आज आपके लिए लाया हूँ एक ऐसी कहानी, जो बताती है कि दफ्तर में क्या-क्या छुपा होता है और जब आईटी (IT) टीम की चेतावनी को हल्के में लिया जाए, तो नतीजा क्या हो सकता है।
सोचिए, आप अपने ऑफिस के लैपटॉप या कंप्यूटर पर ऐसी फाइलें रखते हैं, जो आपके करियर की "कब्र" खुदवाने के लिए काफी हैं—लेकिन आपको लगता है, "अरे, कौन देखता है?" अब ज़रा ध्यान दीजिए, क्योंकि आज की कहानी में एक सेल्समैन ने यही गलती कर दी और उसके बाद जो हुआ, वो हर ऑफिस जाने वाले को सोचने पर मजबूर कर देगा।
ऑफिस की फाइलें और उनकी "महत्ता" – सबके लिए नहीं!
कहानी अमेरिका की एक बड़ी कंपनी की है, पर इसमें छुपा सबक भारत के हर ऑफिस वाले के लिए है। वहाँ की आईटी टीम का काम था सभी कर्मचारियों की फाइलों का नियमित बैकअप रखना। मगर दिक्कत ये थी कि कंपनी का सर्वर अक्सर क्रैश हो जाता, जिससे फाइल रिस्टोर करने की सुविधा कुछ घंटों से लेकर कई दिन तक बंद रह जाती थी। मैनेजमेंट ने सख्त आदेश दे दिया—यदि किसी को फाइल रिस्टोर करवानी है तो उसके लिए मैनेजर की मंज़ूरी ज़रूरी है।
लेकिन साहब, सेल्स टीम के एक जनाब ने तो जैसे ठान ही लिया था कि उनकी "बहुत महत्वपूर्ण" फाइलें तुरंत चाहिए, वरना वो बात ऊपर तक ले जाएंगे। मैनेजर ने कह दिया—"एक दिन रुक जाइए।" लेकिन भैया जी सीधे CTO (Chief Technology Officer) के पास पहुँच गए और आदेश निकलवा ही लिया—"फाइलें तुरंत रिस्टोर करो!"
जब आईटी टीम ने खोला राज़ – चौंकाने वाली हकीकत
अब नियम के मुताबिक, मैन्युअल रिस्टोर में आईटी टीम को सारी फाइलों की सूची प्रिंट करके DVD में डालनी पड़ती थी। जब लिस्ट निकाली गई, तो आँखें फटी की फटी रह गईं—करीब 95% फाइलें पोर्न (अश्लील वीडियो और तस्वीरें)! बाकी कुछ वर्ड डॉक्यूमेंट्स और एक्सेल शीट्स। सोचिए, अगर ऐसे में वो सेल्समैन भारत के किसी सरकारी दफ्तर में होता, तो शायद उसके चायवाले दोस्त की भी नौकरी चली जाती!
आईटी मैनेजर ने बिना देर किए CTO के सामने पूरा सबूत रख दिया। फिर क्या, अगले ही दिन उस सेल्समैन की तीखी पूछताछ शुरू—CTO, VP Sales और HR सब मिलकर। बेचारे ने आखिर तक यही कहा, "ये मेरी फाइलें नहीं हैं!" लेकिन जनाब, सच्चाई तो सबके सामने थी। किसी ने कमेंट किया था—"सोचिए, उस बेचारे ने अपनी बीवी को क्या जवाब दिया होगा, जब उसे नई नौकरी ढूँढनी पड़ी!"
दफ्तर में अपने कंप्यूटर को समझिए—'अपना' नहीं, 'ऑफिस' का है!
रेडिट पर इस किस्से ने खूब चर्चाएँ बटोरीं। एक कमेंट करने वाले बोले, "ये आश्चर्य की बात नहीं कि लोग पोर्न जैसी चीज़ें ऑफिस के सर्वर पर रखते हैं, लोग बहुत बेवकूफ होते हैं!" एक और जनाब ने बताया, "मैंने खुद देखा है—कई लोग अपनी फैमिली की फोटोज़, गाने, गेम्स तक ऑफिस के कंप्यूटर में डाल देते हैं। लेकिन जब सर्वर क्रैश होता है, तब उन्हीं फाइलों की वजह से उनकी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ जाती हैं!"
एक मजेदार कमेंट में किसी ने लिखा, "ऑफिस के कंप्यूटर में पोर्न रखना मतलब अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारना।" एक और ने जोड़ा—"हमारे यहाँ तो आईटी वाले हर महीने ऑडिट करते हैं। कई बार तो लोग खुद भी नहीं जानते कि उनकी डिलीट की गई फाइलें भी सर्वर पर बैकअप में रह जाती हैं।"
कोई बोला, "बिज़नेस और पर्सनल—इन दोनों को मिलाना तेल और पानी मिलाने जैसा है। घर की फोटो, निजी डॉक्यूमेंट—कुछ भी ऑफिस के लैपटॉप में कभी मत डालो!"
भारतीय दफ्तरों में भी ऐसे किस्से कम नहीं!
अगर आप सोच रहे हैं कि ये सब सिर्फ विदेशों में होता है, तो ज़रा ठहरिए। भारत के कई दफ्तरों में भी आईटी टीम के लोग गुपचुप ऐसी फाइलें ढूंढ निकालते हैं—किसी के लैपटॉप में गाने, किसी के में फिल्में, तो किसी के में 'गुप्त' वीडियोज़। अक्सर HR को बुलाना पड़ता है, और फिर जो मीटिंग होती है, उसकी चर्चा महीनों तक पैंट्री में होती रहती है।
किसी ने कमेंट में मजाकिया अंदाज में लिखा, "ऑफिस में पोर्न देखना वैसे ही है जैसे मंदिर में जूते पहनना—पकड़े गए तो बस, भगवान भी नहीं बचा सकते!"
सबक—दफ्तर का सिस्टम, दफ्तर का ही समझो!
तो साथियों, इस किस्से से यही सीख मिलती है—ऑफिस का कंप्यूटर, लैपटॉप, या फोन पर्सनल काम के लिए कभी इस्तेमाल मत करिए। क्या पता किस दिन बैकअप रिस्टोर करवाना पड़े, और आपकी 'गुप्त' फाइलों का राज़ सबके सामने आ जाए! आईटी टीम के पास आपकी हर हरकत की खबर रहती है—चाहे आप कितनी भी सफाई दें, डिजिटल सबूत झूठ नहीं बोलते।
किसी पाठक ने सही ही लिखा—"कभी-कभी आईटी वालों की आंखें बहुत कुछ देखती हैं, जो आप अपनी आंखों से भी नहीं देखना चाहेंगे!"
निष्कर्ष: हंसी में सीख, सीख में गंभीरता
आखिर में, यही कहना चाहूँगा—दफ्तर के कंप्यूटर को घर का समझने की गलती मत करिए। पर्सनल और प्रोफेशनल—इन दोनों का फर्क समझिए। और हाँ, अगर आईटी टीम कुछ कहे तो उसे हल्के में मत लीजिए, वरना अगली बार ऑफिस की मीटिंग में आपके 'गुप्त कारनामे' सबके सामने उजागर हो सकते हैं!
आपका क्या अनुभव रहा है? क्या आपने कभी अपने ऑफिस में ऐसी कोई घटना देखी है? कमेंट में जरूर बताइए, और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करिए—शायद किसी की 'बहुत महत्वपूर्ण' फाइलें बच जाएं!
मूल रेडिट पोस्ट: Absolutely Must Restore My Important Files!