ऑफिस की 'गुप्त' सर्वे और बॉस की भद्द: जब सच सामने आया
"हमारे ऑफिस की सर्वे पूरी तरह गोपनीय है..." – अगर आपको भी कभी ये लाइन सुनने को मिली हो, तो भाई साहब, सोच-समझकर जवाब देना! आज की कहानी है एक ऐसे कर्मचारी की, जिसने ऑफिस की 'गुप्त' सर्वे में अपने जहरीले मैनेजर का पूरा कच्चा-चिट्ठा खोल दिया, और फिर जो हुआ, वो हिंदी फिल्मों के क्लाइमेक्स जैसा था।
कई बार ऑफिस की दुनिया किसी टीवी सीरियल से कम नहीं लगती। हर रोज़ नए ड्रामे, नए चेहरे, और गुप्त सर्वे नाम का वो "पर्दा" – जिसके पीछे अक्सर कुछ न कुछ पक रहा होता है। लेकिन जब पर्दा हटता है, तो असली खेल तब शुरू होता है...
ऑफिस की "छोटी" टीम, बड़ा खेल
हमारे नायक (चलो इन्हें रमेश मान लेते हैं) कई सालों से एक कंपनी में काम कर रहे थे। एक वक्त था जब उनकी टीम में 10 लोग थे, पर तकनीक के विकास के साथ, टीम सिमटकर बस दो लोगों तक आ गई। कंपनी में उनका विभाग हमेशा "गरीब रिश्तेदार" जैसा माना जाता था – न कोई पूछने वाला, न कोई सराहना। लेकिन मुनाफा? भाई, वो तो सबसे ज्यादा यही विभाग कमा के देता था!
हेड ऑफिस के लोग एक दिन अचानक गायब हो गए – बिना बताए, बिना किसी सूचना के। रमेश ने फोन किया तो वहां वाले बोले, "कौन? किसकी बात कर रहे हो?" बस फिर क्या, सब कुछ ऊपरवाले मालिक के भरोसे, और सीधे बॉस के हवाले।
मैनेजर की जहरीली चालें और सर्वे का "सच"
अब रमेश के नए डायरेक्ट मैनेजर – बस पूछिए मत! जितने टॉक्सिक (ज़हरीले) बॉस फिल्मों में दिखते हैं, उनसे भी दो कदम आगे। रोज़-रोज़ डिपार्टमेंट में आकर ताने, व्यंग्य, और "तुम लोग करते ही क्या हो?" जैसे सवाल। रमेश ने समझदारी दिखाते हुए हर एक घटना लिखनी शुरू कर दी – जैसे डायरी में गुप्त राज़। शिकायत करने का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि ऑफिस की राजनीति में ऊपर वाले हमेशा अपने ही बचाते हैं।
और तभी आया सालाना "गोपनीय सर्वे" – कंपनी का वो फॉर्म, जिसमें कर्मचारी बिना डरे अपनी राय लिख सकते हैं (कम से कम यही बताया जाता है)। रमेश ने तो पूरी रामायण ही लिख डाली – बॉस की हर बदतमीज़ी, हर ताना, हर बुरा व्यवहार, सब कुछ विस्तार से लिख दिया। और फिर फॉर्म भेजकर भूल भी गए।
"गोपनीयता" का सच – जब पोल खुली सबके सामने
कुछ महीनों बाद कंपनी में बड़ा बदलाव आया। पुराने जनरल मैनेजर को "गड़बड़ियों" के कारण बाहर का रास्ता दिखाया गया, पर रमेश के टॉक्सिक बॉस वहीं के वहीं! फिर आया सर्वे का रिजल्ट मीटिंग – सारे मैनेजर्स एक जगह जमा, और नया जनरल मैनेजर सर्वे के कमेंट्स पढ़ रहा था।
अब रमेश का कमेंट्स तो इतने पन्नों का था कि जनरल मैनेजर ने कहा, "इसे बाद में पढ़ेंगे।" लेकिन रमेश की बॉस को तो अपने आप पर इतना घमंड था कि बोली, "सारे कमेंट्स पढ़िए, बुरे भी और अच्छे भी।" उसे लगा, ये बुरी बातें किसी और के बारे में होंगी, उस बेचारे को क्या पता था कि अब उसकी असलियत सबके सामने आने वाली है!
जनरल मैनेजर ने रमेश के लिखे सारे किस्से सबके सामने पढ़ दिए – हर ताना, हर अपमान, हर गंदी राजनीति। बॉस का चेहरा देखने लायक था! मीटिंग के बाद उसे बाकी मैनेजर्स से माफी मांगनी पड़ी, मगर रमेश और उनके साथी से एक बार भी सॉरी नहीं बोला।
सर्वे की "गोपनीयता" – हकीकत या धोखा?
अब बात आती है असली सवाल पर – क्या ऑफिस की ये सर्वे सच में गोपनीय होती हैं? Reddit पर एक कमेंट करने वाले (जिन्हें हम यहाँ "प्रोफेशनलब्रेड" कहेंगे) ने बड़ा बढ़िया लिखा, "कभी मत मानना कि सर्वे गोपनीय है, क्योंकि असल में ये होती नहीं!" कई और लोगों ने भी बताया कि कैसे सर्वे लिंक में यूनिक IDs होती हैं, जिससे आपकी पहचान सामने आ सकती है।
एक और कमेंट में किसी ने लिखा, "हमारे ऑफिस में भी सर्वे के बाद जिन लोगों ने सच्चाई लिखी, उनकी लिस्ट से नाम धीरे-धीरे गायब होने लगे।" यानी सर्वे के नाम पर कंपनी अक्सर अपनी छवि चमकाने का बहाना ढूंढती है, न कि कर्मचारियों की भलाई के लिए।
कुछ लोगों ने हंसते-हंसते ये भी बताया कि उनके ऑफिस में सर्वे के वक्त बॉस खुद सामने बैठकर सबका जवाब देखता था – अब बताइए, ऐसी सर्वे में कौन सच बोलेगा?
कहानी का अंत – बदला भी मिला, सबक भी
आखिर में रमेश ने कंपनी छोड़ दी, वो भी जब टॉक्सिक बॉस सबको कह रही थी – "अरे ये रमेश तो कभी नहीं जाएगा!" रमेश ने न केवल कंपनी छोड़ी, बल्कि एक मोटा पैकेज भी ले गए। खुद रमेश ने बाद में लिखा, "शायद ये बदला इत्तेफाक से हुआ, पर मज़ा तो आ गया!"
इस कहानी ने एक बढ़िया सबक दिया – ऑफिस की सर्वे में जो भी लिखो, वह कभी भी किसी के सामने आ सकता है। और अगर आपके बॉस में घमंड हो, तो एक दिन न एक दिन उनकी पोल जरूर खुलेगी।
आपके विचार?
क्या आपके ऑफिस में भी कभी ऐसी कोई "गुप्त" सर्वे हुई है? क्या आपने कभी सच्चाई लिखने की हिम्मत दिखाई? या फिर आप भी चुपचाप 5-5 नंबर देकर बच निकलते हैं? नीचे कमेंट में अपनी कहानी जरूर शेयर करें। और याद रखिए, ऑफिस की राजनीति में कभी-कभी सबसे सीधा इंसान ही सबसे बड़ा खिलाड़ी बन जाता है!
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