ऑफिस केविन: जब डेली में निकला ‘जुगाड़ू’ सुपर जीनियस
क्या आपने कभी अपने ऑफिस या दुकान में ऐसे किसी इंसान को देखा है, जो काम कम और किस्से ज्यादा करता है? हर दफ्तर या दुकान में एक न एक ऐसा किरदार जरूर होता है, जो बाकी सब से बिल्कुल अलग हो। आज की कहानी है ‘केविन’ की, जो सच में केविन ही था – नाम भी, काम भी, और किस्से भी!
डेली (यानी हमारे यहां के समोसा-जलेबी वाली दुकान जैसी जगह) में काम करने वाला ये ‘केविन’ इतना लापरवाह, इतना जुगाड़ू और इतना ‘अनोखा’ था कि उसके कारनामे सुनकर आप हँसी रोक नहीं पाएंगे। चलिए, जानते हैं उस केविन के किस्से, जिसने काम से ज़्यादा लोगों का मनोरंजन किया।
केविन की दुकान में एंट्री – उम्र का कोई ठिकाना नहीं!
अब जरा सोचिए, जब कोई कहे कि दुकान में एक जवान लड़का है जो कामचोरी करता है, तो बात समझ में आती है। लेकिन यहां केविन की उम्र थी पूरे 60 साल! सफेद बाल, बुढ़ापे की दहलीज़ पर और फिर भी उसका अंदाज एकदम बिंदास। एक पाठक ने तो कमेंट में लिखा – "मैं तो सोच रहा था, ये कोई 20-22 साल का लड़का होगा।" लेकिन असली मज़ा तो तब आया जब पोस्ट के लेखक ने बताया कि केविन असल में साठ के पार था।
हमारे देश में अक्सर कहा जाता है, “बूढ़ा घोड़ा जब मैदान में उतरता है, तो सबको हैरान कर देता है।” लेकिन केविन ने तो मैदान ही बदल दिया – काम की जगह, किस्सों का अखाड़ा बना डाला!
कामचोरी और जुगाड़ – बस केविन का ही स्टाइल
डेली की दुकान पर आमतौर पर साफ-सफाई, जल्दी-जल्दी सैंडविच बनाना और ग्राहकों से हँसते-मुस्कुराते पेश आना जरूरी होता है। लेकिन केविन के लिए ये सब बेमतलब बातें थीं! उसका असली काम था – ग्राहकों से घंटों बातें करना, अपने गेमिंग कंसोल पर Legend of Zelda खेलना, और अजीब-अजीब सपने देखना।
एक दिन केविन अपने दोस्त को यूं ही 20 डॉलर पकड़ा देता है – "ले भाई, कोई वजह नहीं, बस ऐसे ही!" जैसे हमारे यहां कोई चायवाले को 20 रुपये दे दे – "आज मूड अच्छा है, ले ले!"
उसके बनाए सैंडविच ऐसे होते थे जैसे कोई पहली बार बर्तन धो रहा हो – बिल्कुल बेस्वाद, बिना मेहनत के। और हर दिन नया सपना – “भईया, आज मेरा दिमाग बोल रहा है किसी सेलिब्रिटी से चोरी करूं, फिर अमीर बन जाऊं!” या फिर – “तू देखना, एक दिन मैं टेलर स्विफ्ट के साथ घूमूंगा!” अब बताइए, 60 साल की उम्र में ऐसे सपने देखना – असली जुगाड़ू सुपर जीनियस वही है!
‘केविनों’ की दुनिया – क्या आपके यहां भी है कोई केविन?
रेडिट पर एक पाठक ने मजाक में कहा, “सभी केविन लोग आखिरकार ‘केविन द्वीप’ चले जाते हैं, जहां उनकी अपनी दुनिया होती है।” जैसे हमारे यहां हर मोहल्ले में ‘मुन्ना भैया’ होते हैं, वैसे ही वेस्टर्न देशों में ‘केविन’।
दूसरे पाठक ने लिखा, “लगता है डेली की दुकानों में ऐसे ही लोग खिंच आते हैं। सैंडविच बनाना इतना आसान है कि कोई भी कर ले, बस खाने लायक होना चाहिए।” इस पर भारत में चाय-समोसे की दुकानें भी याद आ जाती हैं – जहां हर कोई अपना हुनर आजमाता है, पर स्वाद वही असली कारीगर लाता है।
एक और कमेंट मजेदार था – “केविन को तो विजिटिंग कार्ड छपवा लेना चाहिए: ‘केविन – सुपर जीनियस, गुप्त रूप में।’” अब ये तो बिल्कुल वैसे ही है जैसे हमारे यहां कोई अपने नाम के आगे ‘अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ू’ या ‘सुपर ब्रेन’ लिखवा ले!
आखिर में – केविन, कहां गायब हो गए?
केविन की कहानी का सबसे बड़ा ट्विस्ट – एक दिन वह अचानक गायब हो गया। न कोई नोटिस, न अलविदा, न किसी को खबर। दुकान में सब लोग हैरान – “अरे, केविन कहां गया?” जैसे सीरियल का सबसे फेमस किरदार अचानक स्क्रिप्ट से गायब हो जाए।
कुछ लोगों का मजाकिया अंदाज था – “शायद केविन अब अपनी मां के बेसमेंट में बैठा है,” जैसा कि वेस्टर्न देशों में आलसी लोगों के लिए कहते हैं। शायद हमारे यहां कहा जाता – “अब तो कहीं अपने गांव चला गया होगा, वहीं अड्डा जमा लिया होगा!”
क्या आपके पास भी है कोई ‘केविन’?
हर दफ्तर, हर दुकान, हर मोहल्ले में एक ‘केविन’ जरूर होता है। अगर आपके आस-पास भी कोई ऐसा जुगाड़ू, बिंदास और सपनों में उड़ने वाला इंसान है, तो उसकी कहानी हमें जरूर सुनाएं! और हाँ, कभी-कभी ऐसे लोग भी ऑफिस का माहौल हल्का, मजेदार और यादगार बना देते हैं – बस उम्मीद करें कि उनकी ‘जीनियस’ वाली स्कीमे आप पर लागू न हों!
नोट: इस कहानी का मकसद सिर्फ मनोरंजन है। अगर आपको भी अपने ऑफिस या दुकान की कोई मजेदार घटना याद आ गई हो, तो कमेंट में जरूर शेयर करें।
धन्यवाद, और अगली बार जब किसी ‘केविन’ से मिलें, तो मुस्कराना मत भूलिए!
मूल रेडिट पोस्ट: There was an actual Kevin that worked at my last job (deli)