एप्पल स्टोर के 'केविन' की जीनियस चालाकी: जब यूएसबी पोर्ट की दिक्कत ने खोली पोल
क्या आपने कभी सोचा है कि बड़े-बड़े ब्रांड्स के टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी कभी-कभी इतना बेसिक गलती कर सकते हैं कि आम आदमी भी सिर पकड़ ले? ऐसा ही कुछ हुआ हमारे एक भाई साहब के साथ जब वे अपने मैकबुक एयर की समस्या लेकर एप्पल स्टोर पहुंचे। यूएसबी पोर्ट काम नहीं कर रहा था, और फिर शुरू हुई केविन नामक 'जीनियस' की अजब-गजब सलाहों की झड़ी।
पहला अनुभव: जब 'जीनियस' ने सबसे आसान रास्ता छोड़ दिया
2009-10 की बात है, हमारे लेखक भाई साहब के पास था एक शुरुआती जेनरेशन का मैकबुक एयर—वो भी केवल एक यूएसबी पोर्ट के साथ। एक दिन उस पोर्ट ने जवाब दे दिया। भाई साहब पहुंचे एप्पल स्टोर, जहां उस दिन भीड़ नहीं थी और केविन नाम का एकमात्र टेक्निकल कर्मचारी 'किला' संभाले हुए था।
अब ज़रा सोचिए, हमारे देश में अगर कंप्यूटर की दुकान पर जाते हैं, तो सबसे पहले दुकानदार क्या करता है? यूएसबी पोर्ट की सफाई करता है, दूसरा डिवाइस लगाकर चेक करता है, कभी-कभी थोड़ा झटका भी मारता है (कई लोग तो फूंक भी मार देते हैं)। लेकिन केविन ने तो सीधा सॉफ्टवेयर पर सवाल उठा दिया—"आप विंडोज़ चला रहे हैं, यही दिक्कत है।"
जब लेखक ने बताया कि भाई, सालभर से दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम (Windows और MacOS) चल रहे हैं, कोई दिक्कत नहीं थी, तो केविन का जवाब था—"बूटकैम्प छोड़िए, फिर से iOS पर चलाइए।" (यहां गौर कीजिए, iOS मोबाइल का सिस्टम है, मैकबुक में macOS चलता है, लेकिन केविन तो केविन ही है!) नतीजा वही, यूएसबी फिर भी नहीं चला।
एप्पल स्टोर की 'स्क्रिप्ट': सबसे पहले सॉफ्टवेयर रीइंस्टॉल!
अब मज़ेदार बात यह थी कि केविन बार-बार यही कहता रहा—"रीइंस्टॉल कर लीजिए, ठीक हो जाएगा।" लेखक भी सोच में पड़ गए कि हार्डवेयर की समस्या में रीइंस्टॉल का क्या तुक?
इसी पर एक Reddit यूज़र ने बड़ी शानदार बात कही—"केविन असली जीनियस है।" वहीं एक और ने लिखा, "एप्पल वाले यही स्क्रिप्ट फॉलो करते हैं—पहले सॉफ्टवेयर रीइंस्टॉल, ताकि हार्डवेयर बदलने की नौबत ही न आए।" ये बात हमारे भारत के कस्टमर केयर कॉल्स जैसी ही है, जहाँ हर समस्या का जवाब होता है—"कृपया फॉर्मेट कर दीजिए, सर।"
एक कमेंट में मज़ाकिया तंज कसते हुए लिखा—"कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जैसे उन्हें रीइंस्टॉल करने में ही मज़ा आता है। चाहे हार्डवेयर फेल हो, या बिजली चली गई हो—सबका इलाज रीइंस्टॉल!"
'सिस्टम' से बाहर सोचना भी एक कला है
एक और कमेंट में लिखा गया—"ऐप्पल स्टोर के टेक्स ज्यादातर बस स्क्रिप्ट फॉलो करते हैं, असली दिमाग लगाने की उम्मीद मत करिए।" ये बात हमारे सरकारी दफ्तरों पर भी लागू होती है, जहाँ फाइल इधर-उधर घुमाने के अलावा कोई अपने दिमाग से काम नहीं करता।
अक्सर हमारे देश में भी टेक्निकल सपोर्ट वाले लोग यही कहते हैं—"सर, ये तो आपके ऑपरेटिंग सिस्टम का मसला है!" चाहे समस्या की जड़ कहीं और हो। असल में, स्क्रिप्ट फॉलो करना आसान है, दिमाग लगाना मुश्किल।
फाइनल ट्विस्ट: असली एक्सपर्ट ने चुटकियों में कर दिया काम
आखिरकार, लेखक ने 'आथॉराइज्ड रिपेयर सेंटर' का पता लिया और वहाँ जाकर दिखाया। वहाँ के एक्सपर्ट ने झट से यूएसबी पोर्ट की खराबी पकड़ ली, नया पोर्ट लगाया, बैकअप भी निकाल दिया—और बिना किसी सॉफ्टवेयर रीइंस्टॉल के समस्या हल!
इसी में एक कमेंट ने सही लिखा—"अगर यूएसबी पोर्ट ही मर गया है, तो कितने भी बार रीइंस्टॉल कर लो, कुछ नहीं होने वाला!"
भारत में भी 'केविन' हर जगह!
ऐसी कहानियां सिर्फ अमेरिका या एप्पल स्टोर तक सीमित नहीं हैं। हमारे यहाँ भी 'केविन' जैसे लोग हर गली-मोहल्ले के कंप्यूटर शॉप, मोबाइल रिपेयर सेंटर, यहाँ तक कि सरकारी दफ्तरों में भी मिल जाते हैं। चाहे टीवी न चले, मोबाइल न चार्ज हो, सबका इलाज—"रिस्टार्ट कर लो, नया सॉफ्टवेयर डाल दो!"
निष्कर्ष: समस्या का सही इलाज और 'जुगाड़ू' सोच
इस कहानी से हमें दो बातें सीखने को मिलती हैं—एक तो टेक्निकल एक्सपर्ट भी गलती कर सकते हैं, और दूसरी, सिस्टम से बाहर सोचने की ज़रूरत हमेशा रहती है। अगर कोई समस्या बार-बार सॉफ्टवेयर से नहीं सुलझ रही, तो हार्डवेयर को भी शक की नजर से देखना जरूरी है।
तो अगली बार जब आप किसी 'केविन' से मिलें, तो ध्यान रखें—हर दिक्कत का इलाज रीइंस्टॉल या फॉर्मेट नहीं होता! हमें भी अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए, और कभी-कभी पुराने ज़माने के 'जुगाड़' भी काम आ जाते हैं।
आपकी क्या राय है? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा 'गजब' टेक्निकल अनुभव हुआ है? कॉमेंट करके जरूर बताइए, और ऐसे और किस्से पढ़ने के लिए जुड़े रहिए!
मूल रेडिट पोस्ट: Kevin working at the Apple store