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एक छोटी सी बात ने होटल में मचा दी खलबली – ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ की बड़ी कहानी!

होटल में काम करना जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं। हर दिन कोई ना कोई मेहमान अपनी अनोखी फरमाइश और अजीब हरकतों से कर्मचारियों की परीक्षा लेता है। एक छोटी सी गलती या गलतफहमी, और बात बन जाती है तिल का ताड़। आज हम ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं, जिसमें ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ बोर्ड ने होटल स्टाफ और मेहमान के बीच खामखा की खींचतान खड़ी कर दी!

‘डू नॉट डिस्टर्ब’ – इतना कठिन क्या है?

कहानी कुछ यूं है – एक होटल में एक साहब आए और रिसेप्शन पर शिकायत दर्ज करवाई कि उनके बाथरूम के सिंक में दिक्कत है। रिसेप्शनिस्ट ने तुरंत माफी मांगी और कहा कि वह मेंटेनेंस टीम को भेज रहे हैं। सब कुछ बढ़िया चल रहा था, लेकिन असली ट्विस्ट तब आया, जब रिसेप्शनिस्ट ने दरख्वास्त की: "सर, कृपया अपने कमरे के दरवाजे से ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ (DND) बोर्ड हटा दें, ताकि इंजीनियरिंग टीम नॉक करके अंदर आ सके।"

बस, साहब को गुस्सा आ गया! बोले, "क्या वाकई? आपने खुद फोन किया है, क्या उन्हें नहीं पता कि मुझे मदद चाहिए? ये तो बेवकूफी है!"

अब होटल में जो भी काम करता है, वह जानता है कि DND बोर्ड का मतलब है – ‘कृपया परेशान न करें’। होटल का सख्त नियम है कि जब तक DND हैंगर लटका हो, कोई स्टाफ नॉक नहीं करता, चाहे अंदर से राजा हो या रंक। रिसेप्शनिस्ट ने भी विनम्रता से समझाया, “सर, यह हमारी प्रोटोकॉल है, सुरक्षा और आपकी निजता के लिए।” लेकिन मेहमान का गुस्सा कम नहीं हुआ।

गिलास में तूफान – ‘क्यों बनाते हो बात को पहाड़?’

इस बात पर एक कमेंट करने वाले ने बड़ा मजेदार तंज कसा – "हमारे देश में कहते हैं, 'गिलास में डूबना', यही हाल है!" सोचिए, एक सेकंड का काम – DND बोर्ड हटाना – और साहब ने उसी में बवाल मचा दिया।

कई लोगों को हैरानी थी कि आखिर इतना गुस्सा क्यों? एक और यूज़र ने लिखा, “समझ में आता है कि व्यक्ति भ्रमित हो, लेकिन गुस्सा क्यों?” सच भी है, कई बार मेहमान होटल के नियमों से अनजान होते हैं, मगर गुस्सा दिखाना तो शायद ‘डिस्काउंट’ पाने का तरीका हो गया है!

होटल के नियम – हर जगह अलग, पर सुरक्षा सबसे पहले

कुछ कमेंट्स में कहा गया कि कई होटलों में यदि मेहमान खुद सेवा मांग ले, तो DND का बोर्ड भी अनदेखा कर दिया जाता है। लेकिन अधिकतर होटल, खासकर बड़े शहरों या चार सितारा संपत्तियों में, नियम यही है – DND है तो कोई नॉक नहीं करेगा, चाहे आपने मेंटेनेंस बुलाया हो या खाना ऑर्डर किया हो।

एक यूज़र ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया, "क्रूज़ पर ब्रेकफास्ट ऑर्डर किया, लेकिन DND टांग दिया। काफी देर बाद फोन आया – 'क्या आप वाकई ब्रेकफास्ट चाहते हैं? DND लगा है, हम नॉक नहीं कर सकते!' यानि, नियम तो नियम है।" और होटल स्टाफ को डर रहता है कि अगर DND होते हुए कमरे में घुस गए, तो मेहमान पलटकर शिकायत भी दर्ज कर सकता है।

‘काम आसान था, मगर साहब को शिकायत करनी थी!’

ओरिजिनल पोस्टर ने लिखा, “ये काम तो एक सेकंड का था, DND बोर्ड हटाइए और काम हो जाएगा!” कई लोगों का मानना था कि कुछ मेहमान तो शिकायत करने का मौका ही ढूंढते हैं – शायद उन्हें बोरियत होती है या मुफ्त में कुछ पाना है।

एक और मजेदार टिप्पणी आई, “जितना टाइम गुस्सा करने में लगा, उतने में तो बोर्ड हटाकर काम हो जाता!” और यही सच है – कई बार लोग छोटी सी बातों को इतना तूल दे देते हैं कि समस्या का समाधान कहीं पीछे छूट जाता है।

क्या तक़ाज़ा है हमारी संस्कृति का?

हमारे यहाँ भी ‘प्राइवेसी’ का मतलब समझा जाता है, लेकिन कई बार ‘अतिथि देवो भवः’ वाले भाव में, स्टाफ मेहमान को खुश करने के चक्कर में नियमों को हल्के में ले लेते हैं। पर विदेशों में, और अब भारत के बड़े होटलों में भी, सुरक्षा और निजता को लेकर सख्ती बढ़ गई है। आप पूछेंगे – क्या DND बोर्ड हटाने से इंसान की इज़्ज़त कम हो जाती है? बिल्कुल नहीं! पर कुछ लोग छोटी सी बात में भी अपनी ‘महानता’ दिखाने का मौका ढूंढ लेते हैं।

निष्कर्ष: छोटी-सी बात, बड़ी सीख

तो अगली बार जब आप होटल जाएं, और कोई बोर्ड या नियम दिखे, तो गुस्सा करने से पहले ज़रा सोचिए – कहीं ये आपकी भलाई के लिए तो नहीं? रिसेप्शनिस्ट या स्टाफ भी इंसान हैं, उनका मकसद आपकी सुविधा और सुरक्षा दोनों का ध्यान रखना है। छोटी-सी बात को बड़ा मुद्दा बनाकर न खुद परेशान हों, न दूसरों को करें।

क्या आपके साथ भी कभी होटल में ऐसी कोई मजेदार या अजीब घटना हुई है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए – आपकी कहानी भी अगले ब्लॉग में जगह पा सकती है!


मूल रेडिट पोस्ट: very simple...why do guest make things more complicated...