ऊपर वाले पड़ोसी का आतंक और मेरी नन्हीं बदला-लीला: जब शांति का जवाब संगीत से दिया गया
कभी-कभी लगता है कि हमारे देश में पड़ोसी सिर्फ चाय, नमक या त्योहारों में मिठाई लेने-देने के लिए ही नहीं होते, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में न चाहते हुए भी 'एंटरटेनमेंट' का बड़ा स्रोत बन जाते हैं। अगर आपके ऊपर या बगल में रहने वाले पड़ोसी शांति के फरिश्ते हों तो समझिए किस्मत ने साथ दिया, वरना हर गली-मोहल्ले में एक-दो ऐसे 'महाशय' जरूर मिल जाते हैं जिनकी वजह से सुबह-शाम का चैन जाता रहता है।
आज की कहानी एक ऐसे ही परेशान हाल इंसान की है, जिसने अपने ऊपर वाले पड़ोसियों के 'हंगामे' से तंग आकर उन्हें एक अनोखे अंदाज में जवाब दिया। Reddit की दुनिया से आई यह दास्तान हर उस इंसान के दिल को छू लेगी, जो कभी न कभी 'ऊपर वालों' की वजह से रातों की नींद और दिन का सुकून खो बैठा है।
जब शांति के दुश्मन पड़ोस में बस जाएं
सोचिए, आप थके-हारे ऑफिस से घर लौटे हैं, और ऊपर से किसी का बच्चा 'कबड्डी-कबड्डी' की तर्ज पर पूरे घर में धड़ाम-धड़ाम करता घूम रहा है। ऊपर से उसके माता-पिता भी जैसे 'खुल्लम-खुल्ला' जीवन जीने के शौकीन, कोई भी समय हो, बालकनी या खुले खिड़की में जोरदार 'प्रेम प्रदर्शन'। ऐसे में आपका 'अपना घर' कब 'दंगल का अखाड़ा' बन जाता है, पता ही नहीं चलता।
हमारे नायक (Reddit यूज़र u/Oldhagandcats) की माने तो ऊपर वाले पड़ोसी सिर्फ चलते नहीं, बल्कि 'धरती हिला देने' वाले कदमों से चलते हैं। उनके घर का बच्चा, जो दिव्यांग है, उसे बाहर खेलने नहीं ले जाते, बल्कि घर के अंदर ही उसे मस्ती करने देते हैं—कभी भी, कहीं भी, जितना जोर से मर्जी। ऊपर से घर में अजनबियों की आवाजाही, और उनका बेफिक्र व्यवहार, खिड़की या बालकनी में होने वाले 'लाउड रोमांस'—सुनने वालों के लिए तो यह किसी बुरी हिंदी फिल्म की कहानी लगती है।
विनम्रता का जब हो उल्टा असर
हमारे देश में लोग अक्सर कहते हैं, "बात करने से बात बनती है।" लेकिन कभी-कभी सामने वाला इतना ढीठ निकले कि आपकी हर विनम्रता, हर निवेदन उसके कानों से निकल ही जाए। यही हुआ हमारे कहानी के नायक के साथ—उन्होंने कई बार politely (शालीनता से) ऊपर वालों को टोका, समझाया, लेकिन हर बार हालात और भी खराब हो गए।
अब ऐसे में कोई क्या करे? कई पाठकों की तरह एक Reddit यूज़र (u/samati) ने सलाह दी, "भैया, सोसाइटी प्रबंधन या पुलिस में शिकायत कर दो, वरना ये लोग सुधरने वाले नहीं।" लेकिन हमारे नायक को औपचारिक शिकायतों से ज्यादा खुद का 'छोटा सा बदला' लेना सही लगा। आखिर, 'जैसे को तैसा' का भी तो अपना मजा है!
बदले की 'शावर कंसर्ट': जब बाथरूम बना मंच
अब आया असली ट्विस्ट! ऊपर वाले महाशय ने कभी बताया था कि वो रोज़ शाम 4:30 बजे ऑफिस से घर लौटते हैं और आराम करना पसंद करते हैं। बस, यहीं से हमारे नायक के दिमाग की बत्ती जल गई। अब रोज़ उसी वक्त वे अपने बाथरूम में घुसकर जोर-जोर से गाना गाते, जैसे कोई इंडियन आइडल का ऑडिशन चल रहा हो। बाथरूम के इको में आवाज़ ऊपर तक गूंजती—मानो गाने में ही कह रहे हों, "आराम भूल जाओ, भाईसाहब!"
Reddit कम्युनिटी में भी इस 'प्यारे बदले' पर जमकर मजेदार कमेंट्स आए। किसी ने तो सलाह दी, "जब ऊपर वाले प्रेम में व्यस्त हों, तो 'बेबी शार्क' गाना बजा दो, या फिर ज़ोरदार तालियां बजाओ!" एक और यूज़र (u/jewls20) ने तो अपनी खुद की तकनीक बताई—"सीलिंग के पास सबवूफर रखो, अपने ही पैर पटकने की आवाज़ रिकॉर्ड करके रातभर बजाओ, देखो कैसे नींद उड़ती है उनकी!"
एक और मजेदार कमेंट में कहा गया, "अगर असली बदला लेना है तो बगपाइप बजाना सीख लो, उसके बाद आपकी शौर्यगाथा मोहल्ले भर में गूंजेगी!" किसी ने तो यहां तक कह डाला, "सीलिंग वाइब्रेटर खरीद लो, और ऊपर वालों की नींद हराम कर दो!"
क्या सिर्फ बदला ही हल है?
कहानी में कई पाठकों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या ये तरीका वाकई असरदार है? कुछ लोगों का मानना था कि ऐसे लोग नीचे वालों की आवाज़ों से ज्यादा फर्क नहीं महसूस करते, और असली हल तो सोसाइटी, पुलिस या प्रशासन में शिकायत करना ही है। एक पाठक (u/MeganLuxy) ने तो सीधा कह दिया, "आपको अपने घर में शांति मिलनी चाहिए, ये सब तात्कालिक संतोष तो देता है, लेकिन असली समाधान नहीं।"
वहीं, कुछ कमेंट्स में बच्चे की स्थिति को लेकर भी चिंता जताई गई—"अगर माता-पिता इतनी लापरवाही बरत रहे हैं, तो वह बच्चे के लिए भी खतरनाक है।" हमारे समाज में भी बच्चों की सुरक्षा, खासकर दिव्यांग बच्चों की, बहुत जरूरी मानी जाती है। ऐसे में, परिवार या प्रशासन का दखल भी जरूरी हो सकता है।
मोहल्ले की गाथा: हंसते-हंसते सीखिए
हमारे देश के मोहल्लों में अक्सर ऐसा होता है—कभी ऊपर वाले की चप्पल की आवाज़, कभी नीचे वाले का टीवी, कभी बच्चों की शरारतें, तो कभी बुजुर्गों का रेडियो। मगर इस Reddit कहानी ने दिखाया कि जब झगड़े को 'मजाकिया बदले' में बदल दिया जाए, तो जिंदगी थोड़ी आसान हो जाती है। आखिर, हर समस्या का हल झगड़े या शिकायत में नहीं होता—कभी-कभी 'शावर सिंगिंग' ही सबसे बड़ा हथियार बन जाता है!
तो अगली बार जब आपके ऊपर वाले पड़ोसी हद से ज्यादा शोर मचाएं, तो क्या आप भी कोई 'नन्हा बदला' आजमाएंगे? या फिर बातचीत और समझदारी का रास्ता चुनेंगे? आपके पास भी कोई मजेदार पड़ोसी की कहानी हो, तो हमें जरूर बताएं—हमारे देश में कहानियों की कभी कमी नहीं होती!
समाप्त।
मूल रेडिट पोस्ट: My neighbours upstairs are a nightmare.