उम्र का बहाना: तकनीक से दूर भागती 'करन' और होटल वाले की मज़ेदार रात
शहर के बीचोंबीच स्थित एक शानदार होटल की रात का समय, तीन बजे का वक्त – और तभी फोन की घंटी घनघनाई। फोन उठाते ही दूसरी तरफ से एक गुस्साई महिला की आवाज़ आई, "आपने मुझे इस वीराने में क्यों डाल दिया?" होटल के नाइट ऑडिटर साहब (जिन्हें हम आगे चलकर 'हमारे नायक' कहेंगे) तो थोड़ा हक्का-बक्का रह गए। पूछने पर पता चला कि महिला किसी दूसरे होटल में ठहरी हैं, जो फैक्ट्री एरिया के पास है, और उन्हें लोकेशन, होटल की सुविधाएँ, और सबसे ज़्यादा – कमरे से दिखने वाला नज़ारा पसंद नहीं आया।
हमारे नायक ने समझाया, "मैडम, आप गलत होटल में कॉल कर रही हैं।" लेकिन महिला बोली, "मुझे पता है, लेकिन मेरी परेशानी की जड़ आप ही हैं!" असल किस्सा यह था कि महिला ने पहले हमारे नायक के होटल में बुकिंग की कोशिश की थी, लेकिन कमरे फुल थे। रिजर्वेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें दूसरे होटल का ऑप्शन बताया, और महिला ने हाँ कर दी। अब वे नाराज़ थीं कि किसी ने उनका मन नहीं पढ़ा कि उन्हें 'शानदार व्यू' चाहिए था!
उम्र का बहाना – कब तक?
महिला का जवाब था – "मैं 61 साल की हूँ, कंप्यूटर नहीं चला सकती!" अब ज़रा सोचिए, आज के जमाने में जब हर बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा है, 61 साल की उम्र में खुद को तकनीक से दूर रखना कितना बड़ा बहाना है? Reddit पर इस कहानी पर आए कमेंट्स में एक यूज़र ने लिखा, "मेरी माँ इस महिला से उम्र में बड़ी हैं, लेकिन सारी ऑनलाइन चीज़ें फोन पर देख लेती हैं। ये तो सीधा-सीधा 'सीखने की इच्छा' की कमी है!"
दरअसल, आज के दौर में जब बैंकिंग, रेलवे टिकट, बिजली बिल, यहाँ तक कि राशन कार्ड भी ऑनलाइन बनते हैं, तो कंप्यूटर या मोबाइल चलाने में उम्र का बहाना चल ही नहीं सकता। एक और कमेंट में लिखा था – "61 साल की उम्र क्या कोई ज़्यादा होती है? जब भारत में कलर टीवी आया, तब आज की 61 साल की महिलाएँ-पुरुष युवा ही थे! उस वक्त से लेकर आज तक दुनिया बदल गई, मगर कुछ लोग खुद को बदलना ही नहीं चाहते।"
तकनीक से भागने का ज़माना गया
हमारे देश में भी कई लोग तकनीक से डरते हैं, खासकर जब उम्र बढ़ती है। परंतु, असल में यह डर या असहजता कहीं न कहीं 'नई चीज़ें सीखने' से बचने की आदत बन जाती है। एक यूज़र ने चुटकी लेते हुए लिखा, "अगर आप होटल का फोन नंबर ढूंढ सकते हैं, तो जरा सा गूगल सर्च भी कर सकते थे! उम्र यहाँ बहाना नहीं, आलस और जिद है।"
एक और मजेदार कमेंट में किसी ने भारतीय शैली में कहा, "मेरी दादी 80 की उम्र में फेसबुक और व्हाट्सऐप चलाती हैं – वीडियो कॉल करती हैं, फोटो भेजती हैं, ग्रुप में शुभकामनाएँ देती हैं। तो फिर 61 की 'करन' को किस बात का डर?"
कई पाठकों ने कहा – "अगर 90 साल के बुजुर्ग ऑनलाइन बैंकिंग कर सकते हैं, तो 61 साल की महिला होटल के कमरे का व्यू गूगल पर क्यों नहीं देख सकतीं?" यही सच्चाई है – तकनीक अब किसी एक पीढ़ी या उम्र की जायदाद नहीं रही।
होटल स्टाफ की सीख – बदलते रहिए, वरना ज़माना आपको छोड़ देगा
हमारे नायक ने आखिर में बड़ी खरी-खरी कही – "आप कितने भी बड़े हो जाएँ, आज का जमाना कम्प्यूटर और इंटरनेट का है। न तो कोई अखबार में विज्ञापन ढूँढेगा, न कोई आपके लिए मन पढ़ेगा। आपको खुद सीखना पड़ेगा, वरना ज़माना आपको पीछे छोड़ देगा।"
कई कमेंट्स में लोगों ने हमारे नायक की बात का समर्थन किया – "अगर आप खुद बदलने को तैयार नहीं हैं, तो दूसरों को दोष मत दीजिए।" एक पाठक ने कहा, "आजकल तो गाँव की महिलाएँ भी डिजिटल पेमेंट कर रही हैं, तो ये बहाना कब तक चलेगा?"
क्या व्यू ही सबकुछ है?
इस पूरे किस्से में सबसे मज़ेदार बात यह थी कि महिला होटल के व्यू को लेकर इतनी परेशान थीं, जैसे कमरे की खिड़की से कश्मीर की वादियाँ देखने की उम्मीद थी! एक कमेंट में लिखा था – "होटल के कमरे से बाहर झांकने पर ताजमहल या कुतुब मीनार तो दिखने से रहा! ज़्यादा फर्क पड़ता है क्या?"
असल में, जिंदगी में कई बार हम बाहरी चीज़ों को लेकर इतना सोचते हैं कि असल मज़ा लेना भूल जाते हैं। व्यू हो या सुविधा, थोड़ा सा रिसर्च, थोड़ी सी समझदारी और तकनीक का साथ – जिंदगी आसान हो जाती है।
निष्कर्ष: बदलते रहिए, सीखते रहिए!
तो साथियों, इस किस्से से हमें यही सिखने को मिलता है – उम्र चाहे जो भी हो, सीखने की कोई सीमा नहीं। अगर हम खुद को बदलने से इंकार करेंगे, तो दुनिया हमें पीछे छोड़ देगी। तकनीक से भागना अब 'गाँव की पुरानी कहावत' जैसा हो गया है – "जो समय के साथ नहीं चले, वो समय से बाहर हो जाते हैं।"
क्या आपके घर में भी कोई 'करन' है जो उम्र का बहाना बनाकर नयी चीज़ें सीखने से भागता है? या फिर आपके दादी-नानी, नाना-दादा तकनीक में आपसे भी आगे हैं? अपनी राय, किस्से और अनुभव कमेंट में ज़रूर साझा कीजिए!
आइए, उम्र को सीढ़ी बनाइए, बहाना नहीं – और डिजिटल इंडिया का हिस्सा बनिए!
मूल रेडिट पोस्ट: You are old, so what ?!