इंटरव्यू में देर: क्या आपका समय सच में कीमती है या बस दिखावा?
सोचिए आप सुबह-सुबह सवेरे-सवेरे तैयार होकर, उम्मीदों से भरे, एक नई नौकरी की तलाश में इंटरव्यू देने जाते हैं। समय से पहले पहुँचते हैं, बढ़िया कपड़े, आत्मविश्वास से लबरेज़, बस इंतज़ार है कि कोई आपको बुलाए और आपकी मेहनत रंग लाए। लेकिन… वहाँ पहुँचते ही पता चलता है कि इंटरव्यू लेने वाले साहब तो किसी मीटिंग में हैं, और आपको इंतज़ार करने को कहा जाता है। वो भी दस-पंद्रह मिनट नहीं, पूरे सवा घंटे!
नौकरी के इंटरव्यू या परीक्षा धैर्य की?
अक्सर हमारे यहाँ यह माना जाता है कि 'अतिथि देवो भवः', पर जब बात नौकरी के इंटरव्यू की आती है तो उम्मीदवारों को 'इंतजार देवो भवः' बना दिया जाता है। Reddit पर 'u/bostonianbasic' नामक यूज़र ने अपनी ऐसी ही कहानी साझा की। इंटरव्यू का समय सुबह 10 बजे तय था, लेकिन उन्हें वहाँ पहुँचकर पता चला कि साहब मीटिंग में व्यस्त हैं। और वो मीटिंग भी कोई छोटी-मोटी नहीं, जो 7 बजे शुरू होनी थी, वो खिसकते-खिसकते 11:30 तक चलने वाली थी। अब भला कौन है जो डेढ़ घंटे तक ऐसे ही बैठा रहे?
हमारे देश में भी कई युवाओं ने ऐसे अनुभव झेले हैं। 'बड़े साहब अभी आते हैं', 'थोड़ा इंतजार कीजिए', 'फाइल देख रहे हैं'—ये जुमले जितने आम हैं, उतने ही बेरुख़ भी।
दोहराव की कहानी: फिर वही इंतजार, फिर वही निराशा
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। Reddit यूज़र ने शालीनता से पूछा—क्या इंटरव्यू फिर से तय किया जा सकता है? अगली बार बुधवार 11 बजे बुलाया गया। फिर वही फ्रंट डेस्क, वही इंतजार। इस बार 20 मिनट बाद शिकायत की तो झटपट पाँच मिनट का इंटरव्यू निपटा दिया गया। मैनेजर बोले—'सिर्फ मैं ही हूँ, सब काम अकेले करना पड़ता है, बाकी इंटरव्यू निपटाकर आपको खबर कर दूँगा।'
अब ज़रा सोचिए, जिस जगह इंटरव्यू इस तरह टरकाया जाए, वहाँ नौकरी मिल भी जाए तो काम का माहौल कैसा मिलेगा? एक कमेंट करने वाले ने बिल्कुल सही लिखा—"यही तो तुम्हें वहाँ काम करने का असली स्वाद चखाने से पहले चखवा दिया गया।"
क्या हमने असल में 'गोली' बचा ली?
Reddit कम्युनिटी के कई सदस्यों ने इसे 'गोली बचाना' कहा—यानि आप मुसीबत में फँसने से बाल-बाल बचे। एक ने लिखा, "अगर आपको वहाँ नौकरी मिल भी जाती, तो भी यही हाल होता। बेहतर हुआ कि बस कुछ घंटे खराब हुए, वरना कई हफ्ते बर्बाद हो सकते थे!"
एक और कमेंट में सलाह दी गई—"ऐसे जगहों पर काम करना, जहाँ आपके समय की कदर न हो, खुद के लिए नुकसान है।" एक सदस्य ने तो मज़ाक में लिखा—"अगर इतना ही अव्यवस्थित हैं तो अपने इंतजार का बिल भेज दो, शायद चुकता भी कर दें!"
हमारे यहाँ भी कई दफ्तरों में यही हाल है—बॉस मीटिंग में, स्टाफ गायब, कोई पूछने वाला नहीं, और उम्मीदवारों का समय यूँ ही उड़नछू।
सीख: इंटरव्यू सिर्फ आपका नहीं, कंपनी का भी इम्तहान है
हमारे समाज में अक्सर यही सिखाया जाता है कि नौकरी चाहिए तो 'सहनशील' बनो, सब कुछ चुपचाप झेलो। मगर असलियत ये है कि इंटरव्यू दोतरफा रास्ता है। जैसे कंपनी आपको परखती है, वैसे ही आपको भी देखना चाहिए—क्या ये जगह, ये लोग, आपकी मेहनत और समय के काबिल हैं?
एक कमेंट में लिखा गया—"इंटरव्यू सिर्फ उम्मीदवार का नहीं, कंपनी का भी टेस्ट है। और यहाँ कंपनी फेल हो गई।"
अगर इंटरव्यू के समय ही आपकी कद्र नहीं, तो काम के दौरान क्या उम्मीद करें? अपने समय की कदर करना, खुद की इज्जत करना है।
थोड़ा हँसी-मज़ाक भी जरूरी है!
अंत में, जैसे एक और Reddit यूज़र ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा—"आजकल हर जगह यही है, नौकरी ढूँढना भी जैसे लॉटरी है।" कोई बोला—"शुक्र है तुम्हें वहाँ काम नहीं मिला, वरना वही मीटिंग, वही इंतजार, वही सिरदर्द रोज़ झेलना पड़ता।"
कई बार तो मैनेजर इतने व्यस्त होते हैं कि खुद भी नहीं जानते इंटरव्यू के लिए कोई बैठा है। किसी ने मजाक में कहा—"अगर इतने ही बिजी हैं, तो शायद होटल में काम करने का असली नज़ारा यही है!"
निष्कर्ष: क्या आपने भी ऐसी कोई कहानी झेली है?
तो दोस्तो, अगली बार जब कोई इंटरव्यू लेने वाला आपको इंतजार करवाए, तो एक बार खुद से पूछिए—क्या यही वह जगह है जहाँ आप रोज़ काम करने का सपना देखते हैं? वक्त की कद्र कीजिए, और बेवजह की 'मीटिंग-मीटिंग' में अपना वक्त न गँवाइए।
क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है? या आपके पास कोई मजेदार इंटरव्यू का किस्सा है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें। चलिए, एक-दूसरे के अनुभव से सीखते हैं—क्योंकि नौकरी ढूँढना अपने आप में ही एक बड़ा एडवेंचर है!
मूल रेडिट पोस्ट: How common is it for the interviewer to be late?