“आपकी वेबसाइट पर हूँ” – होटल रिसेप्शन का असली ड्रामा!
आजकल जब हर चीज़ ऑनलाइन है, तो होटल बुकिंग भी उसी लाइन में आ गई है। पर क्या आपने कभी सोचा है, होटल के फ्रंट डेस्क पर बैठे कर्मचारी का दिल क्या चाहता है? सोचिए, आप होटल रिसेप्शनिस्ट हैं, और हर तीसरे फोन पर कोई कह रहा है – “मैं आपकी वेबसाइट पर हूँ!” बस, फिर शुरू होती है असली जुगलबंदी – ग्राहक बनाम रिसेप्शनिस्ट!
“ऑनलाइन रेट तो तीस रुपये सस्ता है!” – ग्राहक का शाश्वत हथियार
अगर आप कभी होटल में बुकिंग के लिए फोन करें तो अक्सर सुनने को मिलता है – “अरे मैम/सर, आपकी वेबसाइट पर तो इतना सस्ता दिख रहा है!” अब इस स्थिति में रिसेप्शनिस्ट का मन करता है कि बोले, “भैया, तो फिर वेबसाइट से ही बुक कर लो!” पर हां, हमारे भारतीय समाज में ग्राहक भगवान है, तो रिसेप्शनिस्ट बड़ी शांति से जवाब देता/देती है – “जी, वह तो बहुत अच्छा रेट लग रहा है! बस, देख लीजिए कि वेबसाइट भरोसेमंद है, तारीख सही है, और रुपया–पैसा आपकी ही करंसी में है। फिर तो बुक कर ही लीजिए!” (यहां थोड़ी ड्रामेबाज़ी और नकली उत्साह ज़रूरी है, ताकि ग्राहक को लगे, रिसेप्शनिस्ट भी उस ऑफर से खुश है!)
एक Reddit यूज़र ने बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में लिखा कि वे हमेशा ओवरएक्टिंग कर के ग्राहक को यही कहते हैं और मज़े की बात – दस में दस बार ग्राहक आखिरकार रिसेप्शनिस्ट से ही बुकिंग कर देता है! यानी ग्राहक को भी पता है, ऑनलाइन रेट्स में कई बार गड़बड़ घोटाला होता है।
“कौन बनेगा ऑनलाइन महारथी?” – ग्राहक बनाम होटल
दरअसल, भारतीय ग्राहक को तो मोलभाव करने की आदत है। एक कमेंट में किसी ने कहा, “मेरे बॉस हमेशा कहते थे ऑनलाइन बुक करो, सस्ता है। पर मैंने हमेशा सीधे होटल फोन किया, कभी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई।” और सच भी है, ऑनलाइन साइट्स पर कई बार तारीखें गलत हो जाती हैं, रूम टाइप बदल जाता है, या फिर डॉलर में चार्ज हो जाता है – बाद में कार्ड का बिल देखकर आंखें फटी की फटी रह जाती हैं!
एक और मज़ेदार वाकया – एक महिला ने रिसेप्शन पर फोन किया, बोलीं कि “ऑनलाइन कमरे दिख रहे हैं, आप झूठ क्यों बोल रहे हो कि होटल फुल है?” रिसेप्शनिस्ट ने समझाया, “गूगल अगले हफ्ते की डेट दिखा रहा होगा। हम तो आज के लिए पूरी तरह बुक हैं!” फिर क्या, थोड़ी देर बाद वही महिला होटल आ धमकी – “मैंने अभी–अभी ऑनलाइन बुक किया है!” और… बुकिंग अगली वीकेंड की निकली, डॉलर में एक्स्ट्रा चार्ज लगा! आखिरकार, महिला को खुद ही तीसरे पक्ष वाली साइट से झगड़ना पड़ा।
ग्राहक हमेशा सही… या कभी–कभी ज्यादा ही स्मार्ट?
कई बार ग्राहक ऑनलाइन सस्ते रेट का बहाना बना कर रिसेप्शनिस्ट से मोलभाव करने की कोशिश करते हैं। एक कमेंट में तो किसी ने लिखा – “अरे जनाब, अगर आपको सच में इतना सस्ता मिल रहा है, तो वहीं से बुक कर लीजिए। हम तो अपनी लिमिट में ही हैं!”
कुछ ग्राहक तो इतने स्मार्ट बनते हैं कि बोलते हैं, “साइट पर लिखा है, अगर मेंबर बनें तो डिस्काउंट मिलेगा। आप मुझे यहीं डिस्काउंट दे दो, मैं ऑनलाइन जॉइन कर लूंगा।” रिसेप्शनिस्ट मन ही मन सोचता है – “भैया, आपसे तो लाला जी भी मात खा जाएं!”
होटल के फ्रंट डेस्क की जिंदगी – सब्र का इम्तिहान
होटल रिसेप्शनिस्ट का काम बाहर से जितना आसान लगता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण है। कभी ग्राहक रात के 11 बजे फोन करके पूछते हैं – “आपके कमरे रेनोवेट हुए हैं या नहीं? रिव्यूज में तो कुछ और लिखा है!” अब रिसेप्शनिस्ट क्या करे – मेहमान सामने खड़े हैं, फोन पर बहस करने का टाइम नहीं! एक कमेंट में किसी ने लिखा – “सीधा कह दिया, ‘आपका सवाल मैंने जवाब दिया, अब रात में बहस नहीं करूंगी। बिजनेस ऑवर्स में बात करिए।’ और फोन काट दिया!”
कुछ लोग तो वेबसाइट पर ऐसी–ऐसी चीजें खोजते हैं – “फायर सेफ्टी प्लान कहां है? इवैक्युएशन प्रोटोकॉल क्या है?” अरे भैया, होटल बुकिंग कर लो, अग्निशमन विभाग मत बनो!
दिल से – रिसेप्शनिस्ट की आपबीती
इस पूरी कहानी के पीछे एक सच्चाई छुपी है – होटल रिसेप्शनिस्ट भी इंसान हैं, कभी–कभी उनका दिन भी खराब होता है, और वे भी चाहते हैं कि बस, आज और कोई फोन न आए! Reddit के मूल लेखक ने लिखा, “पता चल रहा होगा, मैं इंट्रोवर्ट हूं और आज का दिन बहुत भारी लग रहा है। अब और लोग नहीं चाहिए!”
सच कहें तो, चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, सीधा संवाद और भरोसा – यही सबसे बड़ा समाधान है। होटल रिसेप्शनिस्ट चाहे जितना मीठा बोले, ग्राहक भी समझदार है – आखिरकार असली चैन और भरोसा उसी से मिलता है, जब इंसान इंसान से बात करता है, न कि किसी बेनाम वेबसाइट या कॉल सेंटर से।
निष्कर्ष – आप क्या सोचते हैं?
अगली बार जब आप होटल बुक करें, तो ऑनलाइन रेट्स देखकर रिसेप्शन पर मोलभाव करने से पहले एक बार सोचिए – क्या वाकई वो सस्ता रेट आपको सुकून देगा? या फिर, सीधे होटल से बात कर लेना ही बेहतर है?
आपकी इस विषय पर क्या राय है? क्या आपके साथ भी ऐसा कोई वाकया हुआ है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें – और अगर आपको ये कहानी मज़ेदार लगी हो, तो शेयर करना न भूलें!
आखिरकार, होटल हो या ज़िंदगी – थोड़ा सा भरोसा और थोड़ा सा ह्यूमर, यही सबसे बड़ी डील है!
मूल रेडिट पोस्ट: I’m on your website