आधी रात के बाद होटल बुकिंग का झोल: जब मेहमानों ने होटल स्टाफ की नींद उड़ा दी
होटल में काम करना वैसे ही कम सिरदर्दी का काम नहीं है, ऊपर से अगर रात को बारह बजे के बाद कोई मेहमान बुकिंग लेकर आ जाए तो सोचिए क्या हाल होता होगा! सोचिए, आप होटलकर्मी हैं, पूरा दिन की भागदौड़ के बाद रात की शिफ्ट में हैं, सारी बुकिंग फुल हो चुकी है और अचानक कुछ लोग दरवाजे पर दस्तक देते हैं—“भैया, हमारा कमरा तैयार है ना?”
यही किस्सा है एक होटल के नाइट ऑडिटर का, जिसने रेडिट पर अपनी झल्लाहट और हास्य से भरी रात का किस्सा साझा किया। आज हम आपको उसी कहानी की झलकिया और उस पर आए मजेदार कमेंट्स के साथ पेश कर रहे हैं।
आधी रात के बाद की बुकिंग: समझदारी या बेवकूफी?
अब जरा सोचिए, शनिवार की रात है, होटल फुल है। हमारे नायक (होटल नाइट ऑडिटर) को पता है कि एक भी कमरा खाली नहीं है, लेकिन रात के 1:40 बजे अचानक एक मेहमान दो कमरों की बुकिंग लेकर आ धमकता है। वह उम्मीद कर रहा था कि दोनों कमरे साथ-साथ मिल जाएं!
जब स्टाफ ने बताया, “साहब, अभी तो शनिवार की रात चल रही है, और चेक-इन तो रविवार दोपहर 3 बजे से है,” तो मेहमान बड़े गुस्से में बोले, “अरे भई, आज तो रविवार हो गया, हमें तो अभी कमरे चाहिए!”
यह सुनकर होटल स्टाफ का माथा ठनक गया—यह वही तर्क है जैसे कोई कहे, “भैया, मेरी शादी की दावत रात 8 बजे है, लेकिन मैं 4 बजे ही प्लेट लगवा लूं?”
और कमाल देखिए, जब उन्हें मना किया गया तो वे गाड़ी में बैठकर 20 मिनट तक होटल की पार्किंग में ही बैठे रहे। शायद सोच रहे थे कि कमरे खुद-ब-खुद खाली हो जाएंगे!
तीसरे पक्ष की बुकिंग और 'कस्टमर हमेशा सही' का भ्रम
इन दिनों लोग ऑनलाइन थर्ड पार्टी ऐप्स से बुकिंग करते हैं और मान लेते हैं कि चाबी मिलना तो तय है! एक कमेंट में किसी ने लिखा—“क्यों वेबसाइट पर रूम दिखा, जब अभी चेक-इन नहीं हो सकता?!”
अरे भैया, समझिए, होटल की दुनिया में भी नियम होते हैं। होटल स्टाफ ने साफ-साफ बोल दिया, “अगर बुकिंग कैंसिल करनी है तो उसी साइट से करिए जहां से बुक किया है, हमारा इसमें कुछ नहीं बनता।”
कुछ मेहमान समझदार निकले, उन्होंने होटल स्टाफ से आसपास के होटलों की लिस्ट मांगी और फोन घुमाने लगे। लेकिन कुछ तो ऐसे अड़े रहे जैसे बकरियां खंभे से!
एक कमेंट में किसी ने मजाक में लिखा, “अगर तुम्हारा डिनर रिजर्वेशन रात 8 बजे का है, तो क्या तुम 4 बजे पहुंचकर खाना मांगोगे?” यही हाल इन मेहमानों का था!
होटल स्टाफ की परेशानी vs. मेहमानों की उम्मीदें
होटल स्टाफ के लिए ऐसी रातें किसी क़यामत से कम नहीं होतीं, खासकर जब लोग अपना दिमाग घर छोड़कर आते हैं। एक और कमेंट में किसी ने लिखा—“कुछ लोग तो सामने खड़े होकर कहेंगे कि होटल बेच चुका है, लेकिन वे वहीं खड़े-खड़े अगले दिन की बुकिंग कर डालते हैं, सोचते हैं कि शायद स्टाफ उनके लिए कोई गुप्त कमरा छुपाकर बैठा हो!”
होटल स्टाफ के पास भी अपनी सीमाएं हैं। कई बार मेहमान चाहते हैं कि स्टाफ उनके लिए खुद फोन करके दूसरे होटल में कमरा ढूंढे। लेकिन एक अनुभवी कर्मचारी ने लिखा—“मैं एक लिस्ट पकड़ा दूंगा, उसमें नंबर और पता होगा, लेकिन खुद फोन नहीं करूंगा। पहले जब किया था, तब मेहमान को गुस्सा आ गया कि कमरा बिक गया, और गुस्सा मुझ पर उतार दिया!”
आधी रात के मेहमान: सिरदर्द या मनोरंजन?
किस्से-कहानियों की कमी नहीं है। एक होटल कर्मचारी ने लिखा कि एक बार 3:40 बजे सुबह दो कमरे मांगने वाला कोई आया, और जब मना किया तो गालियां देने लगा!
कुछ कमेंट्स में स्थानीय मेहमानों की हरकतों पर भी तंज कसा गया—“ये लोग देर रात आते हैं, फिर दूसरे मेहमानों को भी परेशान करते हैं और अगली सुबह चेक-आउट में भी नखरे दिखाते हैं।”
ऐसी कहानियां भारतीय होटलों में भी आम हैं। याद कीजिए, शादी-ब्याह में कितने लोग बिना बताए, रिजर्वेशन के बिना पहुँच जाते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके लिए हमेशा जगह हो!
निष्कर्ष: होटल स्टाफ भी इंसान हैं, जादूगर नहीं!
तो भाइयों और बहनों, अगली बार जब आप होटल में बुकिंग करें, तो चेक-इन समय ध्यान से पढ़ें। रात के दो बजे बुकिंग करने का मतलब यह नहीं कि होटल वालें आपके लिए जादू से कमरा निकाल देंगे।
अगर कभी ऐसी स्थिति में फंस जाएं तो होटल स्टाफ की बात मानिए, गुस्सा दिखाने से कुछ नहीं मिलेगा। और हाँ, अगर समय पर बुकिंग करेंगे तो हर कोई खुश रहेगा—आप भी, होटल वाले भी और वो बेचारे नाइट ऑडिटर भी, जिसकी रात की नींद आप उड़ा देते हैं!
आपका भी कोई ऐसा अनुभव रहा हो? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें—शायद अगली कहानी आपकी हो!
मूल रेडिट पोस्ट: After midnight reservations