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अरे तारीख तो बताओ! होटल में जब ग्राहक ने सब्र की परीक्षा ली

किराए की दरों पर फोन बातचीत का एनिमे चित्रण, मजेदार गलतफहमी को दर्शाता है।
इस जीवंत एनिमे दृश्य में, ब्रैन एक अजीब फोन कॉल का सामना कर रहा है, जहां किराए की दरों को लेकर भ्रम फैला हुआ है। "बस मुझे एक तारीख दे दो!!!" में शामिल हों, जब वह विवरण समझाने की कोशिश कर रहा है और कॉल करने वाला लगातार मासिक मूल्य के बारे में पूछता है!

हमारे देश में जब भी किसी होटल या गेस्टहाउस में बुकिंग करनी हो, तो लोग सीधा सवाल पूछते हैं – “भैया, रूम कितने का पड़ेगा?” अब बेचारा रिसेप्शन वाला मन ही मन सोचता है, “कब से कब तक चाहिए, ये तो बता दो!” पर ग्राहक को तो बस एक ही चीज़ जाननी है – “रेंट कितना है?”
कई बार तो ऐसा लगता है, जैसे ग्राहक को तारीख़ पूछना किसी पहेली सुलझाने जैसा लग रहा हो। आज हम आपके लिए लाए हैं एक ऐसी ही मजेदार घटना, जिसमें होटल रिसेप्शनिस्ट को नानी याद आ गई, सिर्फ एक तारीख पूछने में!

ग्राहक बनाम कर्मचारी : तारीखों की जंग

सोचिए, आप होटल के रिसेप्शन पर बैठे हैं। फोन घनघना उठता है—

ग्राहक: “हैलो, आपका मंथली रेट क्या है?”
रिसेप्शनिस्ट: “माफ़ कीजिए, हम महीने के हिसाब से किराया नहीं देते। आपको कीमत बताने के लिए चेक-इन और चेक-आउट डेट चाहिए होगी।”

ग्राहक: “ठीक है, तो एक महीने का कितना पड़ेगा?”
रिसेप्शनिस्ट: “आज से शुरू करें?”
ग्राहक: “हां।”
रिसेप्शनिस्ट: “तो चेक-आउट कौन सी तारीख को होगी?”
ग्राहक: “एक महीने बाद।”

रिसेप्शनिस्ट की हालत सोचिए – जैसे किसी ने पूछा हो, “भैया, एक किलो सब्ज़ी कितने की है?” पर कौन सी सब्ज़ी चाहिए, ये ही ना बताया!
आखिर रिसेप्शनिस्ट को कहना पड़ा, “कृपया एक पक्की तारीख बता दीजिए, जैसे 3 अक्टूबर।”
ग्राहक बोला: “अरे, अगले हफ्ते के बाद वाली हफ्ते में कर लें?”
अब रिसेप्शनिस्ट खुद भी उलझ गया – “सिर्फ उस हफ्ते के लिए, या आज से शुरू?”
ग्राहक: “आज से।”
रिसेप्शनिस्ट: “तो चेक-आउट कौन सी तारीख होगी?”
ग्राहक: “उस वीकेंड।”
रिसेप्शनिस्ट: “शनिवार 13 या रविवार 14?”
ग्राहक: “14।”

इतनी माथापच्ची के बाद ग्राहक ने कहा, “इतना तो मैं एक साथ नहीं चुका सकता, क्या मैं रोज़-रोज़ देकर रह सकता हूं?”

होटल, किराया और ‘तारीख’ की अहमियत

हमारे समाज में होटल बुकिंग को अक्सर किराए के घर लेने जैसा समझ लिया जाता है – “भैया, महीने का कितना?” मगर सच्चाई ये है कि होटल का रेट हर दिन, हर तारीख के हिसाब से बदलता रहता है।
सोचिए, जैसे शादी के सीजन में रेलवे टिकट का दाम आसमान छूने लगता है, वैसे ही होटल के कमरे भी त्योहार, छुट्टियां, वीकेंड या सीजन के हिसाब से महंगे या सस्ते होते रहते हैं।
अब ग्राहक अगर बोले, “मुझे जून के किसी भी हफ्ते का रेट बता दो”, तो रिसेप्शनिस्ट के लिए ये वैसा ही सवाल है, जैसे कोई सब्ज़ीवाले से बोले, “भैया, सब्ज़ी कितने की है?” – कौन सी सब्ज़ी, कौन सा भाव, सब गोलमाल!

एक ऑनलाइन कमेंट में किसी ने मजाकिया अंदाज में लिखा –
“भैया, रेस्टोरेंट है? एक फूड का कितना?”
“कौन सा फूड चाहिए, कब खाना है?”
“फूड है या नहीं? दाम बताओ!”
“इतनी सारी डिश हैं, कौन सी चाहिए?”
“अरे, आप लोग खुद को रेस्टोरेंट कहते हो? मैनेजर को बुलाओ!”
सोचिए, होटल वाले की भी हालत कुछ ऐसी ही हो जाती है।

होटल वालों की परेशानियां: ग्राहक की ‘मूड’ बुकिंग

कई बार तो ग्राहक कहते हैं, “मुझे अक्टूबर के किसी भी वीकेंड का रेट बता दीजिए।”
अब रिसेप्शनिस्ट क्या करे? हर वीकेंड का रेट देखे, फिर ग्राहक का मूड बदले, तो दोबारा देखे।
एक कमेंट करने वाले ने बड़ा अच्छा लिखा –
“भाई, जब तक ग्राहक को तारीख और महीने के नंबर नहीं आते, तब तक दोबारा कॉल कर लेना!”

ऐसे ही एक और होटल कर्मचारी ने बताया कि कई बार ग्राहक बोलते हैं, “मुझे रूम चाहिए, हमारे ग्रुप का ब्लॉक है।”
बस, और कुछ नहीं बताते – न ग्रुप का नाम, न तारीख, न कितने लोग।
अब रिसेप्शनिस्ट के लिए ये वैसा ही है, जैसे कोई बोले, “मुझे शादी का कार्ड चाहिए, पर किसकी शादी है, कब है – ये नहीं पता।”

एक और मज़ेदार बात – कई ग्राहक ऑनलाइन वेबसाइट पर कोई सस्ता रेट देख लेते हैं, फिर होटल को फोन करके मोलभाव करने लगते हैं। “वो वेबसाइट पर इतना दिखा रहा है, आप मैच करोगे?”
भाई, ऑनलाइन छूट और डायरेक्ट बुकिंग में फर्क होता है, ये समझना भी जरूरी है।

आख़िर में: होटल बुकिंग का असली फॉर्मूला

जैसे हमारे यहां शादी, बर्थडे या कोई फंक्शन बुक करते वक्त तारीख, वक्त और जगह अच्छे से पूछी जाती है, वैसे ही होटल में भी बुकिंग के लिए तारीख पक्की होनी चाहिए।
रिसेप्शन वाले का भी टाइम कीमती है, और ग्राहक का भी।
तो अगली बार जब भी आप होटल बुक करें, तारीख, दिन, कितने लोग – सब लिखकर या सोचकर फोन करें।
वरना आपको भी रिसेप्शनिस्ट का वही जवाब मिलेगा –
“कृपया एक निश्चित तारीख बता दीजिए, तभी कुछ हो सकता है!”

आपके अनुभव?

क्या आपके साथ कभी ऐसी कोई मजेदार या उलझाऊ बुकिंग का अनुभव हुआ है?
नीचे कमेंट में जरूर लिखिए।
और हां, अगली बार होटल बुक करते वक्त तारीख मत भूलिएगा, नहीं तो रिसेप्शन वाला भी कह देगा –
“भैया, तारीख तो बताओ!”


मूल रेडिट पोस्ट: Just give me a date!!!