अमीर मालिक, तंग दिल: होटल की सिक्योरिटी और जुगाड़ की अनोखी कहानी
होटल में काम करने वाले लोगों के पास रोज़ नई-नई कहानियाँ होती हैं। कभी कोई मेहमान मजेदार मिल जाता है, तो कभी मालिकों की हरकतें सिर पकड़ने पर मजबूर कर देती हैं। आज की कहानी ऐसी ही एक होटल की है, जिसके मालिक तो बड़े अमीर थे, लेकिन दिल के उतने ही तंग। पैसा कमाने का ऐसा नशा कि खर्च करने से पहले दस बार सोचें, चाहे होटल की सिक्योरिटी ही क्यों न हो!
अमीर मालिक, मगर सिक्योरिटी के नाम पर जुगाड़
2020 से 2022 के बीच मैं एक फुल-सर्विस होटल में फ्रंट ऑफिस मैनेजर था। मालिक की कई प्रॉपर्टीज़ थीं, जिनमें से हमारी होटल सबसे शानदार थी। इतना कमाती थी कि बाकी की पुरानी बिल्डिंग्स का खर्च भी निकल जाता। लेकिन सिक्योरिटी सिस्टम? बस पूछिए मत — नाम के लिए कैमरे लगे थे, असल में तो सब दिखावा!
एक बार मैं बैंकिंग का हिसाब किताब पीछे के ऑफिस में कर रहा था। सिक्योरिटी मैनेजर बोले, "ये काम सामने करो, ताकि कैमरे में आ जाओ, कोई तुम पर चोरी का इल्जाम न लगा सके।" मैंने ऊपर लगे कैमरों की ओर इशारा किया, "ये तो लगे हैं!" तो बोले, "अरे, ये तो बस लोगों को डराने के लिए हैं, असल में इनमें कोई कनेक्शन नहीं है।"
सोचिए, होटल में लाखों का कारोबार, लेकिन कैमरे बस डराने के लिए! एक बार तो किसी लड़की को चोरी के झूठे इल्जाम में निकाल दिया गया, जबकि असली गुनहगार कोई और था। बाद में वही सिक्योरिटी मैनेजर असली चोर से बार में मिला, तो उसने सच उगल दिया। तब मालिकों ने सोचा, असली कैमरे लगाने के बजाय नकली कैमरे लगाओ — ताकि लोग डरें, खर्च भी कम!
होटल का "राजसी" जुगाड़ और मालिक का बेटा
धीरे-धीरे होटल के असली कैमरे भी खराब होते गए। 32 में से सिर्फ 11 कैमरे काम कर रहे थे, वो भी सिर्फ लाइव — रिकॉर्डिंग का कोई इंतज़ाम नहीं! ऐसे में सिक्योरिटी का असली सहारा थे हमारे सिक्योरिटी गार्ड्स। मालिकों ने हर जगह खर्चा काटा, लेकिन गार्ड्स को हटाने की हिम्मत नहीं हुई।
एक और मजेदार किस्सा — एक दिन मेल आया कि मालिक का बेटा दो हफ्ते के लिए इंटर्न बनेगा। पहले ही दिन बोला, "माइक्रोवेव में मेरा स्टेक नहीं गरम हो रहा!" अगले ही दिन नया, महंगा माइक्रोवेव खरीद लाया — सिर्फ दो हफ्ते के लिए! जाने के बाद छोड़ भी गया, तो सोचा, चलो कम से कम स्टाफ को कुछ अच्छा तो मिला। लेकिन भाईसाहब, दो हफ्ते में सैंडविच नहीं खा सकते थे? ये भी अमीरों के अपने ही शौक हैं!
सिक्योरिटी गार्ड्स: असली हीरो या क़िस्मत के भरोसे?
हमारे गार्ड्स की टोली भी कम दिलचस्प नहीं थी। एक जनाब पहले जेल में गार्ड रह चुके थे, तो होटल के मेहमान उनके लिए बच्चों का खेल थे। लेकिन अजीब बात — जब सिक्योरिटी मैनेजर ड्यूटी पर होते, सब शांति रहती। जैसे ही वो छुट्टी पर, बस हंगामा ही हंगामा। एक बार तो एक नशे में धुत मेहमान ने गार्ड के सिर पर मुक्का मार दिया, फिर अगले दिन उल्टा सिक्योरिटी पर इल्जाम लगा दिया। किस्मत अच्छी थी कि उस दिन कैमरे की रिकॉर्डिंग चल रही थी, तो सब सच्चाई सामने आ गई। मेहमान को खुद एहसास हुआ और उसने माफी भी मांगी — ऐसी ईमानदारी कहाँ देखने मिलती है!
तीसरे गार्ड की कहानी तो और भी मजेदार है। उम्र ज़्यादा, सुनाई कम देता था। मेहमान कुछ कहता, तो वो जोर से चीखते, "क्या कहा?" — मेहमान डर के मारे चुप हो जाता! एक पाठक ने कमेंट में लिखा, "तीसरे गार्ड तो गजब के कॉमेडियन हैं!" खुद लेखक ने भी हँसी में लिखा, "वो इतना मजेदार था कि जब मैं 'हाय' बोलता, तो वो जवाब देता, 'ठीक हूँ, धन्यवाद!', चाहे मैंने पूछा हो या नहीं।"
अमीरों की कंजूसी: सबक और हकीकत
एक पाठक ने बढ़िया बात कही — "ये दुनिया ऐसे ही चलती है, बस सावधानी से रहो।" और सच्चाई भी यही है। चाहे मालिक कितने भी अमीर हों, खर्च करते समय हाथ तंग ही रखते हैं। एक और मजेदार कमेंट — "हमारे यहाँ ऐसे लोगों को कहते हैं, जेब में पैसे बहुत, लेकिन हाथ छोटे!" होटल हो या कोई ऑफिस, ये कहानी हर जगह देखने को मिलती है।
यहाँ एक और पश्चिमी किस्सा भी जिक्र हुआ — एक अमीर महिला ने शौक में होटल खरीद लिया, लेकिन असली मालिक का कहना था, "जब तक 5,000 डॉलर से कम का खर्चा हो, मुझे मत बताना!" यानी अमीरी की भी अपनी ही दुनिया है।
निष्कर्ष: सिक्योरिटी के नाम पर जुगाड़, फिर भी दिलचस्प है ये दुनिया
कहानी से एक बात तो साफ है — अमीरों की कंजूसी और कर्मचारियों की जुगाड़ू सोच, दोनों ही भारत में खूब देखने को मिलती है। चाहे कैमरे असली हों या नकली, असली सिक्योरिटी तो वही है जो सच्चे गार्ड्स और ईमानदार स्टाफ दिल से निभाते हैं। और हाँ, कभी-कभी ‘क्या कहा?’ चीखने वाला बूढ़ा गार्ड, सबसे बड़ा हीरो निकलता है!
आपके ऑफिस या होटल में भी ऐसे कोई मजेदार किस्से हुए हैं? नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें — आपकी कहानी भी सबको गुदगुदा सकती है!
मूल रेडिट पोस्ट: Owners were rich, but also very cheap