अबॉमिनेशन हैट' – बच्चों की शरारती बदला और परिवार की नयी क्रिसमस परंपरा
कहते हैं कि परिवार में छोटी-छोटी शरारतें ही सबसे प्यारी यादें बना जाती हैं। क्रिसमस का त्योहार वैसे ही खुशियों और हंसी-ठिठोली का समय होता है। लेकिन जब बच्चों की शैतानी मिल जाए तो साधारण-सी बात भी यादगार बन जाती है। आज मैं आपको एक ऐसे पिता की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिनकी "संस्कारी" सोच को उनके बच्चों ने एक चमकदार, गाने वाली सांता टोपी से मात दे दी—और इसी से शुरू हुआ "अबॉमिनेशन हैट" का किस्सा।
जब सुपरमार्केट में मची खलबली
कुछ साल पहले, जब क्रिसमस की तैयारी जोरों पर थी, हमारे किस्से के हीरो (करीब ५० साल के सज्जन) अपने बच्चों के साथ सुपरमार्केट में खरीदारी करने निकले। बच्चों की आंखें नए-नए क्रिसमस डेकोरेशन पर टिकी थीं। तभी उनकी नजर एक चमकदार लाल सांता हैट पर पड़ी, जो बटन दबाने पर टेढ़ी-मेढ़ी घूमती, बिजली की तरह जगमगाती और "जिंगल बेल्स" बजाती। बच्चों की तो जैसे लॉटरी लग गई—झट से टोपी टोकरी में डाल दी!
लेकिन पिता जी का क्या! उनके संस्कार जाग उठे—"नहीं-नहीं, ये टोपी तो गजब की बेहूदगी है!" बोले और टोपी वापस रख दी। बच्चों के चेहरे लटक गए, पर असली खेल तो अभी बाकी था।
क्रिसमस सुबह: बदले की बिन बताई योजना
हमारे यहाँ भी जैसे हर साल घर में "सांता" बनने की परंपरा होती है, वैसे ही उस परिवार में भी हर साल कोई एक सदस्य सांता बनकर उपहार बांटता है। इस बार बच्चों ने अपने पिता को सांता चुना। उत्सुकता से भरे बच्चों ने पहला गिफ्ट खुद देने का जिम्मा लिया। जब गिफ्ट बॉक्स खुला, तो उसमें वही "अबॉमिनेशन हैट" निकली!
अब बच्चों का कहना—"पापा, ये टोपी तो आपको पहनी ही पड़ेगी।" पिता जी को अपने संस्कारी ताज का ताज, वही चिढ़ाने वाली टोपी पहननी पड़ी। और फिर पूरे परिवार के साथ हंसी-मजाक और गीतों के बीच उपहारों का सिलसिला चलता रहा।
जब "अबॉमिनेशन हैट" बन गई परंपरा
कौन जानता था कि बच्चों की ये छोटी सी बदला लेने की तरकीब, परिवार की नयी क्रिसमस परंपरा बन जाएगी। हर साल वही टोपी, वही हंसी, वही यादें। असल में, यह टोपी अब परिवार का हिस्सा बन गई थी—जैसे हमारे यहाँ दीवाली पर पुरानी झालरें, या होली में पिचकारी!
समुदाय के एक सदस्य ने बड़ी प्यारी बात कही—"ऐसी छोटी-छोटी शरारतें ही तो बचपन की यादें मजबूत करती हैं।" किसी और ने मजाकिया अंदाज में लिखा, "शायद मार्केटिंग में गलती से इसे 'अबॉमिनेशन' की जगह 'सैटन हैट' कह दिया गया!"—यानि ये टोपी तो शैतान की तरह सबको तंग करती थी!
एक और पाठक ने अपनी कहानी जोड़ी कि कैसे उनके घर एक बार ११ फुट का क्रिसमस ट्री आ गया, जबकि छत ८ फुट की थी। बच्चों को अब भी वो "कमरा खा जाने वाला पेड़" याद है! ऐसे ही, किसी ने अपने घर के एनिमेटेड माउस और अजीब-अजीब गाने बजाने वाले खिलौनों का जिक्र किया। साफ है, हर परिवार में ऐसी कोई न कोई "बेवकूफी वाली याद" जरूर बस जाती है।
जब बिल्ली ने डाला रंग में भंग
हर कहानी में ट्विस्ट तो जरूरी है! कई साल बाद, परिवार की बिल्ली ने उस टोपी पर पेशाब कर दी। बेचारा "अबॉमिनेशन हैट" आखिरकार टूट गया। पिता जी ने खुद माना, "मुझे बहुत दुख हुआ। अब वो टोपी हमारे क्रिसमस का हिस्सा बन गई थी।" एक पाठक ने हंसते-हंसते लिखा—"बिल्ली ने तो सही समय पर खेल खत्म कर दिया!" कोई बोला—"अब तो आपको वैसी टोपी ऑनलाइन मिल ही जाएगी, आजकल तो सब कुछ मिलता है।"
परिवार, यादें और छोटी शरारतें
इस कहानी से एक बात साफ है—परिवार की असली खुशी महंगे गिफ्ट्स, या बढ़िया सजावट में नहीं, बल्कि उन बेतुकी, बेवकूफी भरी और दिल से निकली शरारतों में होती है। जैसे हमारे यहां राखी पर भाई-बहन की छेड़छाड़, या किसी त्योहार पर अजीब-अजीब पकवान बनाना, वैसे ही ये टोपी उस घर की पहचान बन गई—हंसी, मस्ती और प्यार का प्रतीक।
तो अगली बार जब आपके बच्चे या परिवार कोई "अबॉमिनेशन" जैसी चीज ले आएं, तो झल्लाइए मत—शायद वही आपकी अगली यादगार परंपरा बन जाए!
क्या आपके घर में भी है कोई अजीब परंपरा?
क्या आपके परिवार में भी ऐसी कोई मजेदार, बेहूदी या शरारती परंपरा है? कमेंट में जरूर शेयर करें! कौन जाने, आपकी कहानी भी किसी के चेहरे पर मुस्कान ला दे।
शुभ क्रिसमस, या कहें—"अबॉमिनेशन हैट" वाला क्रिसमस!
मूल रेडिट पोस्ट: The Abomination Hat