अपनी ही भूल पर नाराज़गी – होटल फ्रंट डेस्क की अनोखी कहानी
हम भारतीयों की आदत है – गलती हो भी जाए तो खुद मानना थोड़ा मुश्किल लगता है! ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला एक होटल के फ्रंट डेस्क पर, जब एक अनुभवी यात्री अपनी ही चूक पर भड़क उठा और जिम्मेदारी होटल पर डालने की कोशिश करने लगा।
सोचिए, अगर आप किसी होटल में रूम बुक करते समय गलती से किसी तीसरे वेबसाइट (Third Party Website) पर चले जाएं और फिर होटल वालों पर गुस्सा करें – तो क्या वो वाकई उनकी गलती है? आज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिसमें गलती इंसान की, नाराज़गी होटल के नाम, और मज़ा सोशल मीडिया पर!
जब गलती अपनी हो, तो दोष किसे दें?
एक दिन होटल के फ्रंट डेस्क पर फोन आया। साहब बड़े परेशान थे – “भैया, मेरी बुकिंग हुई है या नहीं? मैं तो परेशान हो गया हूँ, जरा चेक करिए।” जानकारी ली गई, बुकिंग मिल भी गई, कन्फर्मेशन नंबर भी दे दिया गया।
अब साहब बोले, “ये इतना मुश्किल क्यों है? मैंने तो आपकी वेबसाइट से बुकिंग की थी, फिर ये Thriceline (एक फर्जी नाम, पर असल में किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट का नाम) का नाम क्यों आ रहा है?”
फ्रंट डेस्क ने बहुत ही शांति से बताया – “जनाब, आजकल तीसरे एजेंट्स (OTA – Online Travel Agents) अपने पेज को सर्च रिजल्ट में ऊपर लाने के लिए पैसे लगाते हैं। ‘Ad’ लिखा भी रहता है, पर जल्दी में ये दिखता नहीं। आप जैसे कई मेहमान इसी में फंस जाते हैं।”
अब साहब बोले – “ऐसा तो मेरे साथ कभी नहीं हुआ! मैं तो सालों से सफर कर रहा हूँ!” अगला सवाल – “तो अब मुझे आपके लॉयल्टी पॉइंट्स नहीं मिलेंगे?” जवाब मिला, “जी, थर्ड पार्टी से बुकिंग पर पॉइंट्स नहीं मिलते। अगली बार हमारी वेबसाइट या ऐप से बुक करें तो फायदा रहेगा।”
अब साहब एकदम से भन्ना उठे, “तो फिर मैं आपकी ब्रांड के साथ बुक ही नहीं करूँगा! आपके कंपटीटर्स के साथ तो ऐसा कभी नहीं हुआ!”
जवाब – “जैसा आपकी मर्जी, सर।”
इंटरनेट का ‘जादू’ और हमारी लापरवाही
सोशल मीडिया पर इस कहानी ने धूम मचा दी। एक कमेंट में लिखा गया – “लोग समझते हैं कि सिर्फ एक ही ब्रांड के साथ ऐसा होता है, जैसे बाकी सब जादू से सुरक्षित हैं! भाई, आज का इंटरनेट सबके लिए एक जैसा है, हर जगह वही झंझट।”
एक और यूज़र ने पुरानी यादें ताज़ा करते हुए कहा, “1997 का इंटरनेट याद है? सब फ्री था, शौकिया लोग अपना कंटेंट डालते थे, कोई ऐड नहीं, कोई चालाकी नहीं। पर अब पैसा आ गया है, और इंटरनेट की सादगी गई।”
एक अन्य कमेंट में बड़ी सच्ची सलाह दी गई – “ये मौका सीखने का था! पर कुछ लोग – इस सज्जन की तरह – खुद ही अपनी ज़िंदगी मुश्किल बना लेते हैं।”
ग्राहक भगवान है...या सिरदर्द?
भारतीय संस्कृति में मान्यता है – ‘ग्राहक देवो भवः’। पर कभी-कभी ग्राहक इतना परेशान कर देता है कि कर्मचारी सोचता है – काश ये दोबारा न आए!
एक मज़ेदार कमेंट पढ़िए – “सबसे अच्छा डायलॉग होता है – ‘मैं तो अगली बार यहाँ से बुक ही नहीं करूँगा!’ भाई, मैं होटल का मालिक नहीं हूँ, तुम्हारा न आना मेरे लिए वरदान है!”
एक और ने तंज़ कसा – “अगर आप ऐड और असली वेबसाइट में फर्क नहीं कर सकते, तो ये गलती हर जगह होगी!”
फ्रंट डेस्क वाले ने खुद भी लिखा – “मुझे कोई कमीशन नहीं मिलता, ये धमकी मेरे लिए एकदम बेअसर है। मुझे तो बस इतना चाहिए कि आपकी अगली स्टे बिना शिकायत के निकल जाए, वरना लग रहा है आप शिकायत करने वालों में से हैं!”
बुकिंग की ‘सस्ती’ चालाकी और भारी नुकसान
बात सिर्फ भारत की नहीं, दुनिया भर में लोग ‘सस्ता’ देख कर थर्ड पार्टी वेबसाइट्स पर चले जाते हैं। एक कमेंट में किसी ने लिखा – “लोग प्राइस देखकर ही फंस जाते हैं, फिर जब सरदर्द होता है तो होटल वालों पर गुस्सा निकालते हैं।”
किसी ने सही कहा – “हर जगह ऐप है, ऑफिशियल वेबसाइट है, फिर भी लोग थर्ड पार्टी पर क्यों बुक करते हैं? इंसान है!”
फ्रंट डेस्क के अनुभव से एक और बात साफ़ हुई – “थर्ड पार्टी बुकिंग अक्सर नॉन-रिफंडेबल होती है। पैसे बचाने के चक्कर में बाद में सिर पकड़कर बैठना पड़ता है।”
सीख – सीखने की आदत डालें, दोष देने की नहीं
इस पूरी कहानी से क्या सीख मिलती है? गलती किसी से भी हो सकती है, पर अगर ईमानदारी से मान लें, तो जिंदगी आसान हो जाती है। होटल वाले भी इंसान हैं, उनका धैर्य भी कभी-कभी जवाब दे जाता है।
जैसा एक कमेंट में कहा गया – “हर दिन कुछ नया सीख सकते हैं, बस दिल खोलकर सुनने की ज़रूरत है।”
तो अगली बार जब ऑनलाइन बुकिंग करें, ध्यान दें कि आप किस वेबसाइट पर हैं। गूगल में सबसे ऊपर दिख रहा लिंक हमेशा सही नहीं होता – ‘Ad’ लिखा है या नहीं, ध्यान से देखें। और हाँ, गलती हो जाए तो गुस्सा करने की बजाय मुस्कुरा कर स्वीकार कर लें – यही असली समझदारी है।
निष्कर्ष – आपकी राय क्या है?
क्या आपके साथ भी कभी ऑनलाइन बुकिंग में ऐसी कोई गड़बड़ हुई है? क्या आपको भी कभी गलती पर गुस्सा आया और बाद में हंसी आई? कमेंट में ज़रूर बताइए, और ऐसी और कहानियाँ पढ़ने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ!
मूल रेडिट पोस्ट: Mad at your own mistake