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अगर होटल वाले भी मेहमानों को रेटिंग दे पाते, तो क्या होता?

मेहमानों की कमरे की पसंद पर शिकायतों से परेशान फ्रंट डेस्क एजेंट, एक सिनेमाई होटल के माहौल में।
इस सिनेमाई चित्रण में, एक युवा फ्रंट डेस्क एजेंट मेहमानों की अपेक्षाओं और विकल्पों के साथ जूझता है, जो आतिथ्य उद्योग में अक्सर अनदेखी की जाने वाली परेशानियों को उजागर करता है। क्या आप मेहमानों के लिए समीक्षाएं छोड़ने के बारे में क्या सोचते हैं?

किसी भी होटल में चेक-इन करना कितना आसान लगता है, है ना? बस बुकिंग करिए, रिसेप्शन पर जाइए, चाबी लीजिए और अपने कमरे में आराम से घुस जाइए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होटल के रिसेप्शन पर खड़े वो युवा कर्मचारी क्या महसूस करते हैं? उनकी नजर से होटल का अनुभव कैसा होता है? आज हम उसी मोर्चे की एक अनकही कहानी सुनेंगे, जहाँ ग्राहक राजा नहीं, बल्कि 'शिकायत करने की मशीन' बन जाते हैं!

होटल का रिसेप्शन: 'अतिथि देवो भव' या 'अतिथि सब्र की परीक्षा'?

भारतीय संस्कृति में 'अतिथि देवो भव' का बड़ा महत्व है। पर जब कोई प्यारा सा गेस्ट बुकिंग करने के बाद कमरे में घुसते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगे, तब देवता भी माथा पकड़ लें! Reddit पर एक फ्रंट डेस्क एजेंट (जिनकी उम्र अभी आधी है उन गुस्सैल अतिथियों से) ने दिल की बात कह दी— "आपने खुद ही कमरा बुक किया, अब पसंद नहीं आया तो मेरी क्या गलती? मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ जो आपके मन की बात जान लूं!"

सच कहें तो, होटल स्टाफ का भी अपना सब्र का बांध होता है। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "मेरी मम्मी तो हर होटल में शिकायत करके एक्स्ट्रा पॉइंट्स ले आती हैं। लगता है कुछ लोग तो इसी के लिए घूमने जाते हैं!" किसी और ने मज़ाक में जोड़ा, "काश हम भी गेस्ट को रेट कर पाते, जैसे Airbnb पर करते हैं, तो आधे मेहमान तो अगली बार एंट्री ही ना पा सकें!"

'रिवार्ड पॉइंट्स' का खेल और शिकायतों की राजनीति

आजकल हर होटल चेन अपने खास सदस्यों को पॉइंट्स, अपग्रेड्स और न जाने क्या-क्या ऑफर करती है। लेकिन कुछ 'हाई स्टेटस' वाले मेहमान तो इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान बैठते हैं कि हर बार फ्री अपग्रेड, एक्स्ट्रा सर्विस और मुफ्त की चीज़ें ले लें। Reddit के एक और यूज़र ने बताया, "मुझे तो ऐसे गेस्ट की लिस्ट बनानी चाहिए जिनका शिकायतों का रिकॉर्ड 20% पार कर जाए, उन्हें ऑटोमेटिक चेतावनी मिले—इतनी शिकायतें? अब आपके फायदे कट!"

दरअसल, ये कोई पश्चिमी समस्या नहीं है। हमारे यहाँ भी शादी-ब्याह, ट्रेनों, बैंकों या होटल में, कुछ लोग शिकायत करने को ही अपनी शान समझते हैं। बैंक में सालों तक काम कर चुके एक पाठक ने लिखा, "कभी-कभी तो ग्राहक ऐसे शिकायत करते हैं जैसे बैंक और होटल सिर्फ उन्हीं के लिए बने हैं!"

अगर होटल वाले भी मेहमानों को रेटिंग दे पाते...

अब सोचिए, अगर होटल वालों के पास भी मेहमानों को रेट करने का सिस्टम होता—जैसे कि ओला-ऊबर के ड्राइवर पैसेंजर को रेट करते हैं—तो क्या होता? एक पाठक ने तो यहां तक कह दिया, "हमारे होटल की 'डू नॉट रेंट' लिस्ट में 700 से ज्यादा नाम हैं! अगर कोई उसमें से आ जाए, तो चेक-इन पर ही मना कर देते हैं।"

कल्पना कीजिए, शादी के सीजन में या गर्मी की छुट्टियों में, अगर हर होटल वाले के पास 'शिकायती मेहमानों' की रेटिंग दिख रही हो, तो होटल भी उन्हें उनके हिसाब से सुविधा दे सकते। हो सकता है, बार-बार शिकायत करने वालों को एक्स्ट्रा सिक्योरिटी डिपॉजिट देना पड़े या फिर सीधा 'नो एंट्री' बोर्ड दिखा दिया जाए!

आम आदमी की सीख: व्यवहार से ही बनती है बात

हर गेस्ट एक जैसा नहीं होता। ज्यादातर लोग होटल स्टाफ के प्रति विनम्र ही रहते हैं। एक अनुभवी ग्राहक ने लिखा, "मैंने 40 साल कस्टमर सर्विस में काम किया है। आज भी समझ नहीं आता, कुछ लोग दूसरों को दुखी करके खुद कैसे खुश हो सकते हैं?" वहीं, कुछ मेहमान तो इतने सज्जन होते हैं कि जरूरत पड़ने पर भी शिकायत करने में हिचकते हैं।

असल बात यही है—जैसा व्यवहार करेंगे, वैसी ही सेवा मिलेगी। गुस्से और शिकायत से कभी किसी का भला नहीं हुआ। होटल स्टाफ भी इंसान हैं, उनके साथ वही व्यवहार करें जो आप अपने साथ चाहते हैं।

निष्कर्ष: अतिथि या 'शिकायती'?

तो अगली बार जब आप किसी होटल में चेक-इन करें, याद रखिए—अच्छा व्यवहार, मुस्कान और थोड़ी समझदारी से आपका अनुभव और भी शानदार हो सकता है। और अगर आप भी 'शिकायत करने की ट्रेनिंग' लेकर जा रहे हैं, तो जरा सोचिए, होटल वाले भी अगर आपको रेट करने लगें तो क्या होगा?

आपका क्या अनुभव रहा है? कभी होटल में ऐसी कोई मजेदार या अजीब घटना हुई हो, तो नीचे कमेंट में जरूर बताइए। कौन जाने, अगली कहानी आपकी ही हो!

ध्यान रहे—'अतिथि देवो भव', पर देवता भी इंसान ही होते हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: I wish I could leave reviews for guests. (rant)