होटल के बाहर आधी रात को भटकते मुसाफिर: ऑनलाइन बुकिंग के जमाने में भी क्यों?
भाई, सोचिए – आधी रात का वक्त है, परिवार में बच्चे नींद में हैं, पेट्रोल की टंकी भी खाली होने को है, और आप एक होटल से दूसरे होटल के चक्कर काट रहे हैं... सिर्फ इसलिए कि कहीं कोई कमरा मिल जाए! ये कहानी किसी 90 के दशक की नहीं, आज के डिजिटल इंडिया की है। जब फोन की एक क्लिक पर आपको हर चीज़ मिल सकती है, फिर भी कई लोग होटल की रिसेप्शन पर आकर पूछते हैं – "भैया, कोई कमरा खाली है क्या?"