होटल की रिसेप्शन पर शेक्सपियरिया ड्रामा: नो-शो चार्ज और चतुर ग्राहक की जुगलबंदी
कभी-कभी होटल की रिसेप्शन पर बैठना ऐसा लगता है जैसे ज़िंदगी का असली ड्रामा यहीं खेला जा रहा हो। शांत रात, रिसेप्शन पर चाय की प्याली और अचानक फोन की घंटी – और फिर, जैसे कोई शेक्सपियर का पात्र मंच पर आ गया हो! आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें ग्राहक की नाटकबाज़ी, रिसेप्शनिस्ट की समझदारी और होटल के नियमों की कसमकश सबकुछ एक साथ देखने को मिला।