होटल की रिसेप्शनिस्ट और 'तीन घंटे इंतज़ार' वाला मेहमान: जब धैर्य का इम्तिहान हो गया
भारतीय समाज में अतिथि को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन कभी-कभी अतिथि के साथ-साथ होटल कर्मचारियों का भी धैर्य भगवान-सा होना चाहिए! होटल इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग रोज़ नए-नए किस्सों का सामना करते हैं, पर आज की कहानी कुछ अलग है — इसमें नायक भी रिसेप्शनिस्ट है और खलनायक भी मेहमान!
कल्पना कीजिए, आप किसी होटल के रिसेप्शन पर काम कर रहे हैं। पिछली रात होटल पूरा बुक था, हर कमरे में कोई न कोई ठहरा हुआ था। आपके यहां चेक-इन का समय तय है — शाम 4 बजे। लेकिन कुछ मेहमान तो जैसे 'इंतज़ार' शब्द से ही चिढ़ते हैं!