होटल रिसेप्शनिस्ट या इमोशनल सपोर्ट ह्यूमन? एक दिलचस्प कहानी
कभी सोचा है कि होटल के रिसेप्शन पर मुस्कराते उस भले इंसान की असल ज़िंदगी कैसी होती है? हम सब होटल में जाते हैं, कभी AC नहीं चल रहा, कभी तौलिया गीला, तो कभी रूम सर्विस लेट — और सीधा रिसेप्शन पर शिकायत लेकर पहुँच जाते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि उस रिसेप्शनिस्ट की भी कोई ज़िंदगी, कोई भावनाएँ होती हैं?
आज की कहानी है एक ऐसे होटल रिसेप्शनिस्ट की, जो सिर्फ चाबी या बिल नहीं देता, बल्कि सबका इमोशनल सपोर्ट सिस्टम बन गया है। मज़ाक की बात नहीं, साहब! ये कहानी पढ़कर आप भी सोचेंगे, ‘भई, ये तो अपने यहां के “शर्मा जी” जैसे ही निकले—सबके दुख-सुख का सगा साथी!’