क्या होटल वाले सच में इतने भोले होते हैं? एक नाइट शिफ्ट की मज़ेदार दास्तान
रात के समय होटल की रिसेप्शन डेस्क पर बैठना, सुनने में जितना आसान लगता है, असल में उतना ही दिलचस्प और कभी-कभी सिर पकड़ लेने वाला काम है। सोचिए, रात के 2 बजे फोन बजता है, और सामने से कोई बड़ी मासूमियत से पूछता है – "भैया, आज रात के लिए दो लोगों का कमरा चाहिए।" जवाब में आपको बताना पड़ता है – "माफ़ कीजिए, सारे कमरे फुल हैं।" लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जैसे ही आप कंप्यूटर बंद करने लगते हैं, तुरंत फिर से फोन बजता है – इस बार कोई और आवाज़, लेकिन सवाल वही – "आज रात के लिए कमरा मिलेगा क्या?"
अब ज़रा सोचिए, क्या होटल वाले सच में इतने भोले होते हैं कि हर बार जवाब बदल जाएगा?