होटल में मरे हुए चूहे का ड्रामा: ग्राहक की चालाकी और मैनेजर की मजबूरी
रात के दो ढाई बजे, होटल की रिसेप्शन पर फोन बजता है। सपनों की दुनिया में खोया नाइट ऑडिटर अचानक चौंककर उठता है—सोचिए, ऐसा कौन-सा जरूरी काम है जो आधी रात को याद आया? उधर से आवाज आती है, “मैनेजर चाहिए, हमारे कमरे में चूहा है, हमें डर लग रहा है!” अब भला इतनी रात को कौन सा मेहमान चूहे से डर के मैनेजर मांगता है? रिसेप्शनिस्ट का मन तो किया कह दे, “भैया, यहां तो हम ही मालिक हैं इस वक्त!” लेकिन शिष्टाचार का तकाजा निभाते हुए उसने कहा, “कोई बात नहीं, आपको दूसरा कमरा दे देते हैं।” मगर मेहमान ने साफ मना कर दिया। अब तो शक होना लाज़िमी है, भाई!