विषय पर बढ़ें

किस्सागो

ज़िंदगी के छोटे-बड़े किस्से, देसी तड़के के साथ — जहाँ हर कहानी में है थोड़ा हँसना, थोड़ा सोचना और ढेर सारा “अरे वाह!”

क़िस्सागो लाता है चुनिंदा किस्से — कभी चालाकी से भरे, कभी दिल छू लेने वाले, तो कभी ऐसे कि पढ़कर आप कहें, “ये तो मेरे साथ भी हुआ था!”

जब थेरेपिस्ट की 'सच्चाई' उनसे ही भारी पड़ गई: एक अनोखा थेरेपी अनुभव

"बेटा, जो भी मन में हो, खुलकर कहो।" हमारे यहां तो बचपन से ही ये सुनते आए हैं, लेकिन जब सच में मन की बात कह दो, तो सामने वाला नाक-भौं सिकोड़ने लगता है। ऐसा ही कुछ हुआ Reddit यूज़र u/hollowcitylights के साथ, जब उन्होंने अपने थेरेपिस्ट की 'बिना फिल्टर ईमानदारी' वाली सलाह को थोड़ा ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया।

सोचिए, आप किसी मनोवैज्ञानिक (psychologist) के पास जाते हैं, और हर सेशन में वही घिसी-पिटी लाइन सुनते हैं – "यहां आप पूरी तरह सुरक्षित हैं, जो चाहें कह सकते हैं, बिल्कुल भी न छुपाएं, न शरमाएं।" अब भाई साहब एक दिन सचमुच बिना लाग-लपेट के बोल पड़े। फिर जो हुआ, वो तो किसी बॉलीवुड ड्रामे से कम नहीं था!

इंटरनेट की असली-नकली कहानियाँ: Reddit पर AI की बाढ़ और यूज़र्स की जंग

सोचिए, आप चाय की प्याली लिए आराम से Reddit पर अपनी पसंदीदा कहानियाँ पढ़ रहे हैं, और तभी आपको एहसास होता है कि शायद ये “कहानी” किसी इंसान ने नहीं, बल्कि किसी मशीन ने लिखी है! जी हाँ, आजकल Reddit जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर असली और नकली, यानी इंसान बनाम AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की जंग छिड़ी हुई है। कई यूज़र्स परेशान हैं कि असली मज़ा तो अब खो सा गया है, हर ओर नकलीपन और बनावटी कहानियाँ हैं। Reddit के r/MaliciousCompliance जैसे सबरेडिट्स, जो पहले असली किस्सों के लिए जाने जाते थे, अब AI की बाढ़ में बहते जा रहे हैं।

जब बॉस ने कहा 'पेड़ उल्टा भी लगाओ तो फर्क नहीं पड़ता!' – कर्मचारी ने कर डाली कमाल की चालाकी

उल्टे सजाए गए पेड़ की कार्टून 3D चित्रण, त्योहारी हलचल को दर्शाते हुए।
इस मजेदार कार्टून-3D दृश्य में देखें कि कैसे हमारी पर्यवेक्षक की भागीदारी की ज़िद से छुट्टियों की सजावट में हंसी का तड़का लग गया!

ऑफिस में त्योहारों का सीजन आते ही माहौल कुछ अलग ही हो जाता है। कभी Secret Santa, कभी मिठाई बंटवारा, तो कभी डेकोरेशन की टेंशन! पर सोचिए, अगर आपके बॉस ने सिर झुका कर कह दिया, “जरूरी है, पेड़ लगाओ... चाहे उल्टा ही क्यों न लगा दो!”, तो आप क्या करेंगे?

यही हुआ एक अमेरिकी ऑफिस में, जहां एक कर्मचारी ने बॉस की बात को दिल से – या कहें, दिमाग से – कुछ ज्यादा ही सीरियस ले लिया। अब जो हुआ, उसे जानकर आप हँसी रोक नहीं पाएंगे।

जब ग्राहक सेवा बन गई 'कियोस्क की सेवा': एक दुकान की हास्यास्पद कहानी

व्यस्त स्टोर कियोस्क का कार्टून-3D चित्र, जहां ग्राहक गलियों में चलते हुए और बैकग्राउंड में सेवा डेस्क है।
यह जीवंत कार्टून-3D चित्र एक बड़े स्टोर की हलचल भरी ऊर्जा को दर्शाता है, जिसमें ग्राहक स्व-सेवा कियोस्क के माध्यम से गलियों में चलते हैं। यह नए दृष्टिकोण के साथ ग्राहक सेवा की चुनौतियों और परिवर्तनों को दर्शाता है।

अगर आपने कभी भारत के किसी बड़े मॉल या सुपरमार्केट में वीकेंड पर खरीदारी की है, तो आप जानते होंगे कि वहाँ का माहौल कैसा होता है—भीड़, बच्चों की शरारतें, लंबी कतारें, और सामान खोजते परेशान ग्राहक। अब सोचिए, इसी माहौल में अगर स्टाफ आपकी मदद करने के बजाय आपको एक मशीन के हवाले कर दे, तो क्या होगा?

आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं एक ऐसी ही विदेशी दुकान की कहानी, जिसमें एक ‘बॉस’ ने कर्मचारियों से इंसानियत छोड़कर सिर्फ “कियोस्क” के सहारे काम करने को कहा। आगे जानिए, क्या हुआ जब ग्राहक सेवा बन गई ‘कियोस्क सेवा’—और आखिरकार इंसानियत की जीत कैसे हुई।

जब मैंने सिगरेट छोड़ दी, पर दोस्त ने नहीं मानी हार: एक जुगाड़ू बदला

एक सिनेमाई दृश्य में एक आदमी अपने दोस्त से सिगरेट का प्रस्ताव ठुकराता है, धूम्रपान छोड़ने की संघर्ष का प्रतीक।
इस सिनेमाई क्षण में, एक दृढ़ व्यक्ति अपने दोस्त से सिगरेट का प्रस्ताव ठुकराते हुए खड़ा है, धूम्रपान छोड़ने के भावनात्मक संघर्ष और इस यात्रा में आने वाली चुनौतियों को दर्शाते हुए।

हमारे यहाँ अक्सर कहा जाता है – "संगत से गुण आते हैं, संगत से दोष।" लेकिन कभी-कभी दोस्ती में ऐसे भी पल आते हैं जब सामने वाले की आदतें आपको दोराहे पर खड़ा कर देती हैं। खासकर जब बात हो बुरी आदतें छोड़ने की, जैसे सिगरेट पीना। आज मैं आपको एक ऐसी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जो Reddit पर खूब छाई रही – और इसमें दोस्ती, ईर्ष्या, और थोड़ा सा जुगाड़ सब कुछ है!